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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 8 Mar 2022 11:58 am IST


सहस्त्रताल पर्यटकों की नहीं बन पाया पहली पसंद


सहस्त्रताल सरकार की उपेक्षा से पर्यटकों की नजरों से ओझल है। सहस्त्रताल के आसपास करीब 100 से अधिक छोटे-बड़े ताल, मखमली बुग्याल की खूबसूरती देखते ही बनती है। वहां ब्रह्म कमल, भोजपत्र, बज्रदंती, जटामाशी, फरण, नैर, थुनैर समेत कई औषधि पौधे भी बड़ी मात्रा में पाई जाती है, जबकि पांडवों से जुड़े कई रहस्य और चिह्न भी यहां मौजूद हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में सहस्त्रताल बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में पहचान नहीं बना पाया है।भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार से 46 किमी दूरी पर स्थित सहस्त्रताल कई खूबसूरती, धार्मिक और पौराणिक रहस्यों के लिए जाना जाता है। सहस्त्रताल की चार सौ मीटर लंबाई और दो सौ मीटर चौड़ाई है। आसपास करीब 100 से अधिक छोटे-बड़े ताल हैं, हर मौसम में पानी से लबालब रहते हैं, जबकि 15 हजार फीट में फैला बुग्याल क्षेत्र है। यहां पर ब्रह्म कमल, भोजपत्र, बज्रदंती, जटामासी, फरण, नैर, थुनैर आदि सैकड़ों प्राकृतिक औषधि और फूल भी हैं। कस्तूरी मृग, मोनाल, भरड़, बारहसिंगा के भी लोगों को दर्शन होते हैं। पांडवों से जुड़े कई रहस्य और चिह्न भी यहां मिलते है। सहस्त्रताल के ताल, बुग्याल बेहतरीन खुशबू लोगों को दूर से खींच लाती है।मान्यता है कि इस स्थान पर आदिकाल में देवता स्नान को आते थे। साथ ही पांडव भी इसी स्थान से स्वर्गा रोहणी के लिए गए थे। अभी भी यहां पर अर्जुन की कुर्सी, भीम का चूल्हा, दोपद्री की कंठी आदि चिह्न मौजूद हैं। सहस्त्रताल पर्यटन और तीर्थाटन के लिए बेहतर स्थान है। बावजूद प्रचार-प्रसार के अभाव में विश्वस्तरीय पर्यटन स्थानों में अपनी पहचान नहीं बना पा रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि सरकार सहस्त्रताल कर संरक्षण का पर्यटन मानचित्र में शामिल करती है, तो पर्यटन के लिए एक बेहतरीन गंतव्य बन सकता है।