हरिद्वार। गुरु पूर्णिमा ज्ञान का पर्व है और गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा रहता है। माता एवं गुरु ही व्यक्ति के भाग्य विधाता होते हैं और सद्गुरु की कृपा उसी को प्राप्त होती है, जिस पर भगवान की कृपा होती है। उक्त उद्गगार श्री गीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कनखल के राजा गार्डन स्थित श्री हनुमान मंदिर में गुरु पूर्णिमा महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर आयोजित सुंदरकांड पाठ में आए भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। सुंदरकांड को रामायण का सर्वाेत्तम प्रेरणादाई पाठ बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान रुद्र ने स्वयं हनुमान के रूप में अवतरित होकर भगवान राम के कार्यों में सहयोग दिया। इसीलिए सुंदरकांड का आयोजन समाज में परोपकार की भावना को बल प्रदान करने के लिए होता है। रामायण मे सुंदरकांड ही एकमात्र ऐसा अध्याय है।
जिसके आयोजन एवं श्रवण से अमंगल कार्य भी मंगलमय हो जाते हैं और श्री गीता विज्ञान आश्रम अपने किसी भी कार्यक्रम का शुभारंभ सुंदरकांड के पाठ से करता है, ताकि सम्पूर्ण समाज लाभान्वित हो सके। 17 जुलाई से प्रारंभ हो रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह की जानकारी देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि वे स्वयं गुरु पूर्णिमा से पूर्व श्रीमद्भागवत के माध्यम से दैवीय शक्तियों का आवाहन करते हैं। ताकि गुरुपूर्णिमा महोत्सव में आने वाले सभी भक्तों को भगवत कृपा का प्रसाद प्राप्त हो सके। शोभायात्रा का महत्व समझाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान की शोभा यात्रा में सम्मिलित होने वालों को शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।