उत्तर भारत में मकर संक्रांति के अलावा लोहड़ी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। आमतौर पर लोहड़ी का पर्व सिख समुदाय के लोग मनाते हैं। इस पर्व में घर के बाहर या फिर खुली जगह पर आग जलाई जाती है और इस पवित्र आग की परिक्रमा करने के साथ उसमें तिल, गजक, पॉपकॉर्न, मूंगफली आदि अर्पित करते हैं। इस वर्ष 14 जनवरी को लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा। आइए जानते हैं लोहड़ी का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 जनवरी को रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि प्रवेश करने वाले हैं। ऐसे में 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। वहीं एक दिन पहले यानी 14 जनवरी को लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा। लोहड़ी का शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 57 मिनट पर है।
महत्व
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी का पर्व फसल की कटाई और नई फसल की बुआई के साथ जुड़ा हुआ है। लोहड़ी की आग में रवि की फसल के तौर पर तिल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ आदि चीजें अर्पित की जाती है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव अग्नि देव को आभार व्यक्त किया जाता है, जिससे कि फसल अच्छी उत्पन्न हो। इस दिन पंजाबी लोग सज धज कर ढोल की थाप में भांगड़ा आदि करते हैं और महिलाएं पारंपरिक लोहड़ी का गीत गाकर उत्साह बढ़ाती है।
पूजा विधि
इस दिन गजक, रेवड़ी, पॉपकॉर्न, मूंगफली आदि खरीद कर लाएं। इसके साथ ही घर के बाहर या फिर खुली जगह पर लकड़ियों को इकट्ठा कर लें। रात के समय मुहूर्त के अनुसार इसमें आग लगाए और फिर अपने परिवार के साथ अग्नि देव का शुक्रिया कहते हुए 7 या फिर 11 बार परिक्रमा करें। इसके साथ ही गजक, रेवड़ी, पॉपकॉर्न आदि आग में अर्पित करते जाएं और एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाई दें। अंत में लोहड़ी के प्रसाद का बांट दें।