चमोली जिले में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की एक बार फिर पोल खुल गई। सूचना के बावजूद 108 वाहन के न पहुंचने पर एक व्यक्ति को बारिश के बीच ही नवजात बच्चे को उपचार के लिए पैदल अस्पताल ले जाना पड़ा। पीड़ित ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मामले में कार्रवाई की मांग की है। जिला मुख्यालय गोपेश्वर के दीनदयाल पार्क में किराए के कमरे पर रहने वाले झारखंड निवासी राम आसरे की डेढ़ माह के बच्चे को अचानक सांस लेने में दिक्कतें होने लगी। स्वजन ने गोपेश्वर में मोबाइल का व्यवसाय करने वाले राम आसरे को इसकी जानकारी दी। राम आसरे ने तुरंत 108 चिकित्सा वाहन सेवा को फोन किया। राम आसरे का कहना है कि उनका कमरा जिला चिकित्सालय से तकरीबन डेढ़ किमी की दूरी पर दीनदयाल पार्क के निकट स्थित है। बताया कि जिस समय नवजात को सांस की दिक्कत आई, उस दौरान भारी बारिश हो रही थी। उनके पास निजी वाहन भी नहीं था। लिहाजा 108 चिकित्सा वाहन सेवा को फोन किया। बताया कि पहले तो 108 संचालकों ने तत्काल सेवा देने की बात कही। एक घंटे बाद भी वाहन नहीं पहुंचा तो दोबारा 108 पर काल किया। तब उन्हें बताया गया कि उनके निकटवर्ती क्षेत्र के लिए संचालित 108 चिकित्सा वाहन सेवा अन्य जगह भेजा गया है। बारिश में ही नवजात को लेकर किसी तरह राम आसरे अस्पताल पहुंचा और उसका इलाज कराया। राम आसरे ने इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत की है। उन्होंने कहा कि जब वह नवजात को लेकर अस्पताल पहुंचा तो वहां चार से अधिक एंबुलेंस खड़ी थी। सीएमओ डा. शिव प्रसाद कुड़ियाल ने बताया कि चमोली जिले में कुल 21 एंबुलेंस तैनात हैं। कहा कि 108 चिकित्सा वाहन सेवा को चिकित्सा सेवाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सूचना के बावजूद वाहन न भेजे जाने पर 108 आपात सेवा का संचालन कर रही संस्था के खिलाफ लापरवाही के आरोप में कार्रवाई की जा रही है।