सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा कि, एक पुरुष को अपनी पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए शारीरिक श्रम करके भी पैसा कमाना पड़ता है।
इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने फरीदाबाद के फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखने के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक महिला की याचिका को स्वीकार कर लिया। पीठ ने पति की ओर से पेश वकील दुष्यंत पाराशर के इस तर्क को खारिज कर दिया कि उसका छोटा व्यवसाय है, जो बंद हो गया है। इसलिए उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है।
शीर्ष अदालत ने व्यक्ति को बेटे को 6,000 रुपये देने के अतिरिक्त पत्नी को 10,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। वकील पाराशर ने पत्नी के चरित्र पर सवाल उठाया था। उन्होंने दावा किया कि, लड़का उसका जैविक पुत्र नहीं है। फैमिली कोर्ट ने हालांकि डीएनए परीक्षण के लिए उसकी याचिका खारिज कर दी।