सीआरपीएफ के सिपाही ने बल के डीजी कुलदीप सिंह को पत्र लिखकर जवानों की मेडिकल प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। पत्र में कथित भ्रष्टाचार का खुलासा करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
सिपाही ने बताया कि, बल के पास जवानों का सालाना मेडिकल करने के लिए तमाम संसाधन एवं तकनीकी स्टाफ मौजूद है । इसके बावजूद जवानों को प्राइवेट हेल्थ सेंटर या लैब में भेजा जाता है। इससे जवानों को एक तरफ पंद्रह सौ रुपये की चपत लग रही है तो दूसरी ओर उनके स्वास्थ्य की जांच किए बिना ही ओके रिपोर्ट जारी कर दी जाती है।
वहीं सिपाही ही इस शिकायत पर सीआरपीएफ मुख्यालय ने संज्ञान लिया है। उप निदेशक ‘चिकित्सा महानिदेशालय’ ने संबंधित बटालियन के चिकित्सा अधिकारियों से इस संबंध में 25 अगस्त तक मामले की वस्तुस्थिति की रिपोर्ट तलब की है। सिपाही ने सीआरपीएफ डीजी से गुजारिश की है कि, अपनी लैब में रखी मशीनों का इस्तेमाल करें। लैब तकनीशियन भी पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं।
सिपाही ने अपने पत्र में लिखा है कि ये सब बातें सबूत के आधार पर लिखी गई हैं। अगर इन लोगों को मेरे बारे में पता चला, तो ये लोग मुझ पर ही झूठा केस लगाकर मुझे नौकरी से निकाल सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि बीते दिनों राजस्थान में सीआरपीएफ जवान नरेश जाट द्वारा जिस तरह से खुद को गोली मारी गई थी, वैसा ही घातक कदम मुझे भी उठाने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
फिलहाल पत्र में मिली शिकायत पर चिकित्सा महानिदेशालय ने चिकित्सा अधिकारी को पत्र भेजकर इस मामले की जांच कराने के लिए कहा है। महानिदेशालय ने 25 अगस्त तक मामले की रिपोर्ट मांगी है।