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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 28 Dec 2022 5:05 pm IST


6वीं और 11वीं हुए फेल लेकिन नहीं हारी हिम्मत, खड़ी कर दी जोमैटो जैसी नामचीन कंपनी


इस डिजिटल युग में अब हर काम मिनटों में होने लगा है। दुकानों और मार्केट की भीड़ से बचने के लिए अब लोग घर पर ही सामान मंगाने लगे हैं। इसी कड़ी में लोग खाना भी घर बैठे ऑर्डर करने लगे हैं। ये सब आसान हुआ है जोमैटो और स्विगी जैसे प्लेटफार्म से।  आज हम आपको बतायेंगे कैसे हुई थी जोमैटो की शुरुआत। 
जोमैटो का नाम विश्व की सबसे बड़ी और नामचीन फूड डिलीवरी  कंपनियों में शुमार है। मौजूदा समय में इस ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से 24 देशों के 10 हज़ार से अधिक शहरों के लोगों के पास खाना डिलीवर किया जा रहा है। इस कंपनी के फाउंडर का नाम दीपेंदर गोयल है जो एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। उनकी रुचि पढ़ाई में बहुत कम थी और वे 6वीं तथा 11वीं कक्षा में फेल भी हो चुके थे लेकिन उन्होंने आगे बढने और कुछ करने  का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने खूब मेहनत की और IIT में चयनित हुए और  मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी ज्वाइन की।
कहते हैं एक दिन जब वह अपनी कैंटीन में बैठकर कुछ देख रहे थे तभी उनकी नजर एक मेन्यू कार्ड पर पड़ी और उनके दिमाग में आइडिया आया। उन्होंने उस मेन्यू कार्ड को तत्काल स्कैन कर ऑनलाइन डाल दिया, जिसका उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिला और उनका मनोबल बढ़ा। इसके बाद उन्होंने फूडलेट नामक वेबसाइट बनाई लेकिन इस काम में उन्हें इतनी ज्यादा सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह और उनकी पत्नी दोनों दिल्ली के सभी रेस्तरां में जाने लगे और यहां उन लोगों की साइट पर अपने मेन्यू को अपलोड करना शुरू कर दिया।  इतनी मेहनत करने के बाद भी उन्हें अपने इस कार्य में सफलता नहीं मिली तब उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदलकर फूडीबे रखा, लेकिन फिर भी सफल नहीं हुए। इसी बीच उनकी मुलाकात पंकज चड्डा से हुई जो कि उनके साथ आईटीआई किये थे। पंकज ने इस काम में उनकी खूब मदद की और कुछ टेक्निकल कमियों को सुधारा जिससे बिजनेस में 3 गुना बढ़ोतरी हुई। इससे वे दोनों काफी खुश हुए।  अब दीपेंद्र ने कंपनी का को-फाउंडर पंकज को बनाने का निश्चय किया और उन्हें यह ऑफर दिया।  वर्ष 2008 के जुलाई महीने में दीपेंदर को पंकज का साथ मिला और उनकी कंपनी दिन दूनी रात चौगुनी तेजी से बढने लगी। 
ये बात वर्ष 2010 की है जब इंफोजस के फाउंडर संजीव बिखचन्दानी ने जोमैटो में 1 मिलियन डॉलर का  निवेश किया जिससे कई कम्पनियों द्वारा फंड मिला। सब कुछ बेहतर चल  रहा था और सफलता अपने शिखर पर थी तभी इसके नाम को लेकर ईबे ने लीगल नोटिस भेज दिया जिसके कुछ दिनों बाद इसे जोमैटो (Zomato) नाम मिला। ये नाम दीपेन्द्र के लिए लकी साबित हुआ और देखते ही देखते कंपनी दुनिया की कुछ बड़ी कंपनियों ने शुमार हो गई। वर्ष 2012 में यह कंपनी इंडिया ही नहीं बल्कि ब्राजील तथा टर्की पहुंच गई। आज यह कंपनी इंडोनेशिया, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कतर तथा फिलीपींस समेत कई और देशों में अपनी सर्विस दे रही है।  रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017-18 में इसका रेवन्यू  लगभग 487 करोड़ रुपए था।  वर्ष 2020-21 में 2743 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर चुकी है।