ये बात किसी से छिपी नही है कि देवभूमी उत्तराखंड में आस्था की हवा जब भी बहती है, लोग विश्नास और श्रद्दा का चोगा धारण कर लेते हैं और झूमने लगते हैं उत्साह से कुछ इस तरह कि यहां का मंजर फिर उत्सव से कम नही दिखाई देता। एक ऐसा ही अद्दभुद नजारा हर साल , होली के ठीक 5 दिन बाद देहरादून में देखने को मिलता है, जिसकी इस साल भी आज से शुरुआत हो चुकी है। चलिए जानते हैं कि आखिर ये कौनसा उत्सव है जिसे होली के त्योहार के बाद मनाया जाता है।
बता दें, कि राजधानी देहरादून के दरबार साहिब में लाखों लोगों की श्रद्दा से जुड़े झंडे के मेले की शुरुआत आज - पुराने झंडे को उतारकर, उसे पंचामृत से नहलाकर उसपर सनील लिहाफ चढाकर, नए झंडे के आरोहण के साथ हो गयी है, हां ये अलग बात है कि इस वर्ष इस ऐतीहासिक मेले की अवधि केवल दो ही दिन की तय की गयी है यानि आने वाले रविवार को नगर परिक्रमा के बाद मेला संपन्न हो जाएगा। ये फैसला दरबार साहिब और झंडा मेला प्रबंधन कमेटी ने लिया है, जिसका कारण है कोरोना का बढ़ता खतरा। इतना ही नही संक्रमण के चलते जरुरी कदम उठाते हुए, ये भी तय किया है कि उत्तराखंड के अलावा दुसरे राज्य से आने वाली संगतो को आरटी-पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आना होगा।