लखनऊ: इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए), उद्यान एवं खाद्य संस्करण विभाग, एमएसएमई और निर्यात प्रोत्साहन विभाग द्वारा कृषि आधारित एमएसएमई उद्यमी महासम्मेलन का आयोजन किया गया है। इसके साथ-साथ इंडिया फूड एक्सपो का भी आयोजित हुआ है। इस एक्सपो में 100 से अधिक प्रदर्शनी और 177 स्टॉल्स लगाए गए हैं। कार्यक्रम में कृषि उत्पादन आयुक्त (आईएएस) मनोज कुमार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर आसीन हुए। इस दौरान मंच पर कई वैज्ञानिक, फूड प्रोसेसिंग, तकनीकि संस्थान समेत कई इंडस्ट्रीज के एक्सपर्ट उपस्थित रहे।
आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल, महासचिव दिनेश गोयल समेत आईआईए के कई पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्षों ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया। इसके बाद मंच से महासचिव दिनेश गोयल ने सभी अतिथियों का आभार जताया और कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए इसकी शुरुआत की। उद्यमी महासम्मेलन एवं इंडिया फूड एक्सपो के संयोजक रजनीश सेठी ने कार्यक्रम की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।
एक छत के नीचे मिलेगा सब कुछ: चेतन भल्ला
उद्यमी महासम्मेलन को संबोधित करते हुए आईआईए के राष्ट्रीय
सेमिनार संयोजक चेतन भल्ला ने कहा कि ये जो इवेंट हो रहा है ये फूड प्रोसेसिंग का
महापर्व है। अगर हमें उद्योग लगाना है और अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो यहां पर एक
छत के नीचे सभी कुछ मिलेगा। यहां की जितनी आबादी है, यहां की मार्केट
भी उतनी ही बड़ी है और यूपी में बड़ी संभावनाएं हैं। यहां आप कुछ भी शुरू करिए आपका बिजनेस चलेगा और इसके लिए
सरकार मदद करेगी। इस कार्यक्रम में अलग-अलग फूड प्रोसेसिंग, फ्लेवर्स, फ्रेगरेंस और फूड
पैकेजिंग पर कई सेमिनार आयोजित होने हैं।
इंडिया फूड एक्सपो के अध्यक्ष व कृषि उद्यमी दीपक कुमार बजाज
ने कहा कि ये एक विशाल महाकुंभ है। आईएएस मनोज सिंह की वजह से आईआईए की मांग पर
पूरा ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि आईआईए उत्तर भारत का सबसे बड़ा संगठन और
इसके 10 हजार से अधिक सदस्य हैं। इस आयोजन के जरिए हम व्यापार को बढ़ावा दे सकते हैं
और जो लोग इस सेक्टर में आना चाहते हैं, उन्हें आसानी से
यहां पर सभी सुविधाएं मिल सकती हैं। आज भी अगर हम फूड प्रोसेसिंग में उन्नत होंगे
तो खाद्य उत्पादों के नष्ट होने से बचा सकते हैं। दीपक बजाज ने कहा कि सूर्यमुखी
का फूल हमेशा सूरज की तरफ मुख करके रखता और सूरज छिपने पर वे एक-दूसरे से ऊर्जा
प्राप्त करते हैं।
हमारे उत्पाद यहीं बनें और यहीं बिकें: अशोक अग्रवाल
आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि प्रोडक्ट के लिए पेंटिंग, पैकेजिंग बहुत अच्छी होनी चाहिए और इसके लिए आपको सभी जानकारियां एक छत के नीचे मिलेंगी। सभी एक्सपर्ट के नंबर भी आपके पास रहेंगे तो आपके पास आसानी से कोई भी उद्योग लगाने का रास्ता खुलेगा। उन्होंने कहा कि वन ट्रिलियन डॉलर की व्यवस्था कैसे पहुंचे, इस पर फैसला लेना होगा। कोई विदेशी कंपनी नहीं ले जाएगी। हमारे पास 22 करोड़ लोगों का बाजार है और इससे बड़ा बाजार किसी के पास नहीं है। सरकारी मशीनरी कंधा से कंधा मिलाकर काम करने को हमारे साथ तैयार हैं, नए उद्यमियों के लिए ये बड़ी ऑपर्च्युनिटी है। अशोक अग्रवाल ने कहा कि जब पूरा शासन-प्रशासन इस काम पर लग चुका है तो वो दिन दूर नहीं है, जब हमारी फसल का दाम डॉलर में मिले। हम चाहते हैं कि हमारे उत्पाद यहीं पर बनें और यहीं पर बिकें।
कई फसलों के उत्पादन में हम नंबर वन, लेकिन प्रोसेसिंग में पीछे: मनोज सिंह
इसके बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि उत्पादन
आयुक्त (आईएएस) मनोज कुमार सिंह ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग एक लिंकेज है, फूड का इंडस्ट्री के साथ और इंडस्ड्री से हिंदुस्तान का। लेकिन, फूड प्रोसेसिंग
का जो प्रतिशत है, वो सिर्फ 10
फीसदी है। उन्होंने कहा कि फूड प्रोसेसिंग से किसानों को फसल का अच्छा दाम मिल
सकता है। सबसे कम प्रोसेसिंग फल का है और सबसे ज्यादा दूध का है। अभी तक यूपी में 50 हजार करोड़ रुपये
का है, जो लगभग सिर्फ 8.50 फीसदी पर है। कई फसलों के
उत्पादन में यूपी नंबर एक पर है, लेकिन उनकी प्रोसेसिंग की स्थिति में हम काफी पीछे हैं। आईएएस
मनोज सिंह ने कहा कि सरकार प्रोड्यूसर और मैन्युफैक्चरर्स के साथ बात कर रही है और ये प्रयास उसी का
उदाहरण है। हमारा जो उद्देश्य है कि हम अपना प्रोडक्ट बाहर बेचें और विदेशों में
जाएं, तभी हमारे किसानों को और उद्यमियों को इसका
फायदा मिलेगा।
पोटैटो प्रोसेसिंग में कारोबार की संभावनाओं के बारे में बात
करते हुए सीपीआरआइ के डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र कुमार ने कहा कि ये काफी अच्छी शुरुआत
है। उत्तर प्रदेश में
आलू सबसे ज्यादा
उत्पादित होता है, लेकिन
प्रोसेसिंग में हम छह नंबर पर हैं। भारत, दुनिया में आलू उत्पादन में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है और
हम ग्लूटों फ्री प्रोडक्ट बनाकर हमारे लोगों के स्वास्थ्य को बचा सकते हैं।
इंडस्ट्री में वैल्यू एडिशन बेहद महत्वपूर्ण: डॉ. तनवीर आलम
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग के प्रोफेसर डॉ. तनवीर आलम ने
नई पैकेजिंग तकनीक और आवश्यकताओं पर बात करते हुए कहा कि वैल्यू एडिशन, इंडस्ट्री में बेहद महत्वपूर्ण है और जो दिखता है, वो बिकता है। पैकेजिंग का बड़ा रोल है और डिजिटल मार्केटिंग
भी एक अहम चीज हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ में भी काम कर रहा है। अभी हमने नॉन फूड आइटम्स पर काम
किया है। किसानों की आय बढ़ाने के खेत पर ही पैकेजिंग का काम किया जाए तो जो सभी
फसलों को मंडी पहुंचाते हुए 12 से 25 फीसदी तक नष्ट हो जाता है, अगर उसको बचाया
जा सके तो किसानों के चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी। उन्होंने ये भी कहा कि फूड
इंडस्ट्री की तरह पैकेजिंग इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा तो चीजों की कॉस्ट घटेगी।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए
प्रौद्योगिकियों और मशीनरी की उपलब्धता के बारे में जानकारी देते हुए सीएसआइआर-सीएफटीआरआइ, मैसूर के चीफ साइंटिस्ट राजेश्वर मैचे ने बताया कि एंटरप्रेन्योर
और स्टार्टअप के साथ काफी समय से जुड़ा हुआ हूं। आप जो तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं वो
सही है क्या, इसे समझना जरूरी है। वैल्यू एडिशन पर सोचना
जरूरी है। 100 में 80 इंडस्ट्रीज नहीं चलती हैं और उसकी वजह है हैंड होल्डिंग सही होना, जिसमें तकनीक सही
होना चाहिए। वैल्यू एडिशन करके
आप काफी अच्छा मार्जिन ले जा सकते हैं। टेक्नोलॉजी, मार्केटिंग और फाइनेंस का रोल है। उन्होंने कहा कि सोसायटी
और समाज में किस चीज की आवश्यकता है और आप उसे बेहतर तरीके से कैसे दे सकते हैं। इस
सिकनेस से बचना चाहिए कि कितनी सब्सिडी मिलेगी।
फ्लेवर्स एंड फ्रेगरेंस की जरूरत
ज्यादा, लेकिन उत्पादन कम: एसबी शुक्ला
एफएफडीसी कन्नौज के डायरेक्टर
एसबी शुक्ला ने कृषि आधारित फ्लेवर्स एंड फ्रेगरेंस प्रोडक्ट एंड टेक्नोलॉजी के
लिए एमएसएमई में किसानों के लिए अवसर पर बात की। उन्होंने कहा कि आप अगर टीवी देखें
तो उसमें आने वाले विज्ञापन में कम से कम 10 विज्ञापन खाने या लगाने का होगा, जिसमें फ्रेगरेंस की आवश्यकता पड़ती है। खेती से खुशबू
बनाने तक के लिए ये संस्थान काम करता है। ये दुनिया में पहला ऐसा संस्थान है और इसे करीब 11 वर्ष हो चुके हैं।
केंद्रीय संस्थान होने के बावजूद इस संस्थान को आर्थिक रूप से केंद्र की मदद लेने
की जरूरत नहीं पड़ी है। लेमन ग्रास, मिंट और तुलसी जैसी कई चीजें हैं
यूपी में, जिनका उत्पादन बड़े स्तर पर होता है। जिस चीन
से पहले हम इंपोर्ट करते थे, अब हम उसे
एक्सपोर्ट करते हैं। एसबी शुक्ला ने कहा कि इसके सबसे बड़े बेनिफिट्स हैं कि चोर
चुराता नहीं है और जानवर खाता नहीं। और इसकी जितनी जरूरत है, उससे बेहद कम उत्पादन हो रहा है। वैनिला आइस्क्रीम हमें जाड़े
और गर्मी दोनों में चाहिए। इसका नौ हजार करोड़ से अधिक
का बिजनेस है। ये ऐसा सेगमेंट है, जो सभी चीजों
में इस्तेमाल होता है।
कार्यक्रम में आए हुए आईआईए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल
गुप्ता ने कहा कि हिंदुस्तान हमेशा से दुनिया में नंबर वन पर रहा है और इस ऊर्जा
को दबाकर नहीं रखा जा सकता है। पूरी दुनिया में हमारा खाद्य प्रसंकरण उद्योग
बढ़ेगा ही बढ़ेगा। अब देखना ये होगा कि व्यवस्थित बढ़ेगा या अव्यवस्थित होगा।