प्लास्टिक प्रबंधन के राष्ट्रीय स्तर पर हरित पहलों में ग्राफीन विकास तकनीक को सराहा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन परियोजना अंतर्गत प्लास्टिक से बहुमूल्य ग्राफीन तैयार करने के अनुसंधान की सराहना की गई। कार्यक्रम में गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान से एनएमएचएस नोडल अधिकारी एवं प्रभारी निदेशक इं. किरीट कुमार और वैज्ञानिक इं, आशुतोष तिवारी ने शिरकत की थी।नई दिल्ली में हुई कार्यक्रम में संस्थान की ओर से नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय में चल रही एनएमएचएस परियोजना की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया। पर्यावरण मंत्रालय की संयुक्त सचिव मंजू पांडे ने बताया कि एनएमएचएस परियोजना अंतर्गत कुमाऊं विश्वविद्यालय के नैनो टेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. नंद गोपाल साहू के मार्गदर्शन में पहली बार प्लास्टिक से ग्राफीन बनाने और इसके औद्योगिक करार करने में सफलता मिली है। इस परियोजना के तहत प्लास्टिक कचरे को शोधित करने और उससे ग्राफीन और ईंधन तैयार करने की मशीन का भी विकास किया गया। इसे स्वयंभू-डब्लूआरएम 2021 नाम दिया गया है। इस तकनीक का भारत सरकार के नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कारपोरेशन के माध्यम से औद्योगिक करार भी हो चुका है। कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव भी मौजूद थे।