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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 12 Jun 2022 4:00 pm IST


उत्तराखंड के अस्पतालों में महिला डाक्टरों की भारी कमी


हल्द्वानी : राज्य मातृ-शिशु मृत्यु में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पर्वतीय क्षेत्रों में इलाज की सुविधा नहीं है। तमाम महिलाएं डोली में अस्पताल पहुंचने तक दम तोड़ देती हैं। यही नहीं, शहरी क्षेत्र के बड़े अस्पतालों में भी महिला रोग विशेषज्ञों की कमी है।
कुमाऊं के सबसे बड़े डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय भी बदहाल स्थिति में है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में भी 60 प्रतिशत से अधिक महिला व बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों नजर इस संकट पर नहीं है।डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में 23 पद स्वीकृत हैं। इसमें दो प्रोफेसर, तीन एसोसिएट प्रोफेसर, 11 असिस्टेंट प्रोफेसर और सात सीनियर रेजिडेंट के पद हैं। इसमें से केवल चार पद ही भरे हैं। जबकि प्रतिदिन ओपीडी में ही 150-200 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। ये मरीज कुमाऊं के छह जिलों और उत्तर प्रदेश के कई जिलों के रहते हैं।स्वास्थ्य विभाग में 64 प्रतिशत महिला रोग विशेषज्ञों की कमी है। सरकारी अस्पतालों में करीब 60 प्रतिशत बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है। ऐसे में मातृ-शिशु मृत्यु दर को रोकना बड़ी चुनौती है।