सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड को अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल को पैरवी से हटाने के लिए फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि, आप अटॉर्नी जनरल के साथ इस तरह व्यवहार नहीं कर सकते हैं।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि, अंतिम समय में उन्हें हटाया जाना ‘न्याय के उचित प्रशासन में हस्तक्षेप करने का एक अनुचित प्रयास है। और पुख्ता तौर पर अदालत की अवमानना है।’ प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने वेणुगोपाल के पत्र पर गौर करते हुए कहा कि, आपका पत्र देखकर मैं बहुत परेशान हूं। आप क्या सोच रहे हैं? क्या आप भारत के अटॉर्नी जनरल के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं? इसके बाद वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा, मैं ईमानदारीपूर्वक माफी मांगता हूं।
वेणुगोपाल ने सुनवाई की शुरुआत में, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ को बताया कि, उन्हें पैरवी से हटा दिया गया है। और इस संबंध में एक पत्र जारी किया जा चुका है। कुछ मुद्दों के बावजूद इस मामले पर पैरवी करने के लिए सहमत हुए, तभी आपने उन्हें हटा दिया। यह क्या है? एजी को हटाने का यह तरीका सही नहीं है। मैं (सुनवाई की) तारीख आगे नहीं बढ़ाऊंगा।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत एक कानूनी सवाल से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी कि, क्या मुसलमानों के धर्मार्थ कार्यों के लिए दान की गई भूमि वक्फ कानून के तहत आती है...?