यह सनातनी संस्कृति की खूबसूरती ही है कि उसमें जिस आदर भाव के साथ देवताओं की पूजा होती है, उसी भाव से असुरों की भी। चलिए! आपको उत्तराखंड के एक ऐसे ही अद्भुत मंदिर के दर्शन कराते हैं, जहां छाया ग्रह माने जाने वाले राहु की पूजा होती है। पौड़ी जिले में थलीसैण ब्लॉक की कंडारस्यूं पट्टी के पैठाणी गांव में स्योलीगाड (रथ वाहिनी) व नावालिका (पश्चिमी नयार) नदी के संगम पर स्थित यह मंदिर संपूर्ण गढ़वाल में अपने अनुपम वास्तु शिल्प के लिए जाना जाता है। गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार से लगभग 150 किमी और जिला मुख्यालय पौड़ी से महज 46 किमी की दूरी पर स्थित यह संभवत: देश का इकलौता मंदिर है, जहां राहु की पूजा होती है और वह भी भगवान शिव के साथ।