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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 6 Jun 2023 10:38 am IST


पीएम मोदी पर हमला, क्या सच में सयाने हैं राहुल गांधी?


अमेरिका यात्रा के दौरान राहुल गांधी के बयानों पर भारत में हंगामा मचना ही था। बीजेपी को तो उनके बयान पसंद नहीं ही आए, देश में भी कइयों को लगता है कि विदेश में ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए। दूसरी ओर, कई लोग राहुल की बातों का समर्थन भी कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि राहुल विपक्ष के नेता हैं। इसलिए वह सरकार की आलोचना करेंगे ही। फिर राहुल गांधी के इन बयानों को कैसे देखा जाए?

इस मामले में किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले राहुल गांधी के चर्चित बयानों की कुछ खास बातों पर गौर करना चाहिए।

जिस तरह आप (मुसलमानों) पर हमला हो रहा है, मैं गारंटी दे सकता हूं कि सिख, ईसाई, दलित, आदिवासी भी ऐसा ही महसूस कर रहे हैं।
भारत में राजनीति के जो नॉर्मल टूल थे, वे अब काम नहीं कर रहे हैं। हमें राजनीति के लिए जिन चीजों की जरूरत पड़ती है, उन्हें बीजेपी और आरएसएस कंट्रोल कर रहे हैं। लोगों को धमकी दी जा रही है, एजेंसियों का (अपने फायदे के लिए) इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने (बीजेपी) पूरी कोशिश की कि हमारी भारत जोड़ो यात्रा को रोका जाए। उन्होंने पुलिस और एजेंसियों का इस्तेमाल किया।
मानहानि के लिए अधिकतम सजा पाने वाला मैं पहला व्यक्ति हूं। मेरी सांसदी ही चली गई। मैं हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अडानी पर बोल रहा था।
राहुल गांधी बीजेपी के बाद केंद्र से राज्यों तक दूसरे नंबर की पार्टी के टॉप लीडर हैं। विदेशी धरती पर उनके बयानों में एक जिम्मेदार भारतीय नेता की छवि दिखनी चाहिए।
बीजेपी, संघ, नरेंद्र मोदी से उनके विरोध को कोई अस्वाभाविक नहीं कह सकता। लेकिन राहुल के मामले में बात मोदी या सरकार विरोध तक सीमित नहीं रहती।
जब वह विदेश में मुसलमानों के साथ दलितों, सिखों, आदिवासियों के विरुद्ध हिंसा और उन्हें सताए जाने की बात करते हैं तो यही मेसेज जाता है कि भारत में अभी ऐसा ही हो रहा है। इससे उन विदेशी शक्तियों की ताकत बढ़ती है, जो भारत के खिलाफ इस तरह का प्रोपेगेंडा कर रहे हैं।
पिछले महीने अमेरिका के एक आयोग ने भारत को अल्पसंख्यकों के लिए चिंताजनक देश की श्रेणी में रखने का अनुरोध किया था, जबकि भारत में ऐसी स्थिति है नहीं।
क्या कांग्रेस के लोगों ने यह सोचा है कि अगर ये ताकतें अपनी रिपोर्ट में राहुल गांधी का हवाला दें और भारत को अल्पसंख्यकों को सताने वाला देश बताकर ब्लैकलिस्ट करने की मांग करेंगी तो वे क्या जवाब देंगे?

हालांकि राहुल गांधी ने कहा कि हम यहां किसी से मदद मांगने नहीं आए हैं। यह हमारी लड़ाई है और हम लड़ रहे हैं। इसी तरह रूस-यूक्रेन युद्ध के मामले में उन्होंने कहा कि इस पर हमारी नीति वही है, जो मोदी सरकार की है। मगर दूसरी ओर उन्होंने भारत की ऐसी डरावनी तस्वीर पेश की, मानो यहां लोकतंत्र और संवैधानिक शासन खत्म हो गया है। फासिस्ट सोच रखने वाली सरकार काम कर रही है और मीडिया, जूडिशरी सब उसके कंट्रोल में है। मैं यहां इसके चार उदाहरण दे रहा हूं।

पहला, आम आदमी किसी से नफरत नहीं करता। किसी को मारने के बारे में नहीं सोचता। ये चंद लोग हैं जिनका सिस्टम पर कंट्रोल है।
दूसरा, मीडिया और प्रचार तंत्र सरकार के हाथों में है। बीजेपी आगे के चुनाव हारने जा रही है, लेकिन भारतीय मीडिया कहेगा कि ऐसा नहीं होगा।
तीसरा, बीजेपी ने संस्थानों पर कब्जा कर लिया है। हम लोकतांत्रिक तरीके से लड़ रहे हैं।
चौथा, संसद सदस्यता खत्म करने का ड्रामा असल में छह महीने पहले शुरू हुआ। हम संघर्ष कर रहे थे।
क्या मीडिया की स्वतंत्रता केंद्र सरकार और राज्यों की बीजेपी सरकारों ने खत्म कर दी है? क्या कर्नाटक इलेक्शन से पहले ज्यादातर मीडिया सर्वेक्षणों ने कांग्रेस को बीजेपी से आगे नहीं बताया था? क्या राहुल की संसद सदस्यता अडाणी के साथ सरकार की सांठगांठ का आरोप लगाने के कारण गई? इन सभी सवालों का जवाब ना में है। लेकिन राहुल की बातों से लग रहा है कि मानो कोर्ट ने सरकार से डरकर उनके खिलाफ फैसला दिया। क्या उनकी कही गई बात से विदेश में भारत की छवि खराब नहीं हो रही?

ओवरसीज कांग्रेस उनकी सार्वजनिक यात्राएं आयोजित कर रही है ताकि दुनिया में नरेंद्र मोदी के मुकाबले राहुल को सबसे मजबूत विपक्षी नेता साबित किया जा सके। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पॉप्युलैरिटी विश्व के किसी भी नेता की तुलना में ज्यादा है। कांग्रेस प्रधानमंत्री की ओर से कही गई दो-तीन बातों को अपना मतलब निकालने के लिए गलत ढंग से पेश करती है।

मोदी क्यों हैं पॉप्युलर

वह गहराई से छानबीन करे तो पता चलेगा कि मोदी ने न केवल अपनी सरकार के दौरान भारत में आए बदलावों की पॉजिटिव तस्वीरें विदेशी मंच पर पेश कीं, बल्कि दुनिया की समस्याओं को लेकर भी अपनी सोच रखी। इसलिए उन्हें विजनरी लीडर माना जा रहा है। जहां तक हिमाचल और कर्नाटक में बीजेपी की हार का सवाल है तो पार्टी गुटबाजी की वजह से हारी है। नरेंद्र मोदी के प्रति आज भी बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के अंदर सम्मान और श्रद्धा का भाव है। राहुल गांधी, उनके रणनीतिकारों और ओवरसीज कांग्रेस के संचालकों का नरेंद्र मोदी, बीजेपी और संघ परिवार के प्रति सनातन वैर-भाव समझ में आता है लेकिन विदेश में देश की खराब छवि पेश कर और नेता को खलनायक बनाने से उन्हें इज्जत नहीं मिलेगी। उलटा इससे राहुल को कमजोर नेता ही माना जाएगा।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स