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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 21 Oct 2021 6:07 pm IST


मेरी मन की बात- 34


बहुत दिनों बाद मित्र मंडली मिली। सबसे मिलकर बहुत अच्छा लगा की सब स्वस्थ और खुश है। हालांकि कुछ को कोरोना हुआ था और एक दो ने अपनों को खोया भी था, फिर भी इतनी देर बाद सब से मिलकर बेहद ख़ुशी हुई।
सब अपनी अपनी आप बीती बताने लगे।
” और महिंदर, तुम्हारे दोनों बेटे तो अमेरिका में है। कैसे है ? ”
” बड़ा बेटा न्यू यॉर्क में है। वहा सब से ज्यादा कोरोना का प्रकोप था, पर भगवान का शुक्र है की उसे कुछ नहीं हुआ । वर्क फ्रॉम होम कर रहा था, अब एक दिन छोड़ कर दफ्तर जाना शुरू किया। छोटा बेटा न्यू जर्सी में है। वहा पर डॉक्टर है, उसे कोरोना हुआ था, पर अब ठीक है , ” महिंदर ने जवाब दिया।
” तुम्हारी बेटी भी बाहर जाने वाली थी न, गुरप्रीत ? ”
“हाँ, उसे न्यू यॉर्क में मेडिकल में पीजी रेजीडेंसी मिल गई है। उसकी 25 को फ्लाइट है। माँ बेटी खूब शॉपिंग कर रही है, ” गुरप्रीत ने कहा तो मुझसे रहा नहीं गया, पूछ बैठा, ” यार अकेली बेटी को भेज रहा है, तुझे घबराहट नहीं हो रही ? अकेली लड़की, कैसे रहेगी ? यही पीजी करा लेते। ”
गुरप्रीत ने हस कर बोला, ” घबराहट कैसी ? बच्चे बहुत समझदार है । मैनेज कर लेंगे। हमने भी तो घर से दूर धनबाद में पढ़ाई की है। तुम्हे याद है न हम वह पर मैनेज कर लेते थे, यहाँ तक की खुद कपडे भी धोना सीख गए थे। तुम्हे तो चाय भी नहीं बनानी आती थी, वह सीख गया था न। जरूरत के आगे तो आदमी सब कुछ सीख जाता है । ”
” हां हां मुझे सब याद है, एक बार जब हमारा नौकर बीमार हो गया था तो हम सब ने मिल कर कच्चा पक्का खाना बनाया था। रोटी तो भारत का नक्शा जैसे बनी थी,” मैंने कहा, फिर गंभीर होते हुए मैं बोला, ” यार तेरे दिल को कुछ नहीं होता, इतनी दूर सात समुन्दर पार अपनी बेटी को भेज रहा है, वहा तुम्हारी बेटी कैसे रहेगी ? अजनबी देश, अजनबी लोगों के बीच, कही ऊंच नीच हो गया तो ? ”
” यार, तू बहत भावुक है और डरु भी । तुझे पता है औरते हमारे यहाँ के अनुरूप वहा ज्यादा सुरक्षित है। देर रात तक वहा कही आये जाए कोई कुछ नहीं कहेगा। वहा का लॉ एंड आर्डर बहुत सख्त है। हमारे जैसे नहीं की लड़की की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहो। यहाँ पर मेरी बेटी जब देर रात की ट्रैन से आती थी तो मैं उसे स्टेशन से लेने जाता था, सोच भी नहीं सकता था की वो अकेली आ सके, ” गुरप्रीत ने कहा।
” बाहर के देशो में सुरक्षा के इलावा, हर कोई दुसरे की इज़्ज़त करता है। मेरे भाई की लड़की वहा कनाडा में स्टूडेंट वीसा पर गई है, नर्सिंग कर रही है। पी जी में रहती है और एक रेस्टोरेंट में वेट्रेस का काम करती है। वो अक्सर शाम की शिफ्ट पर लेट हो जाती है, पर अकेले मेट्रो में आते हुए उसे कोई डर नहीं लगता, ” अमन ने बातचीत में हिस्सा लेते हुए कहा।
मैंने कहा, ” पर यार, वेट्रेस की नौकरी ? यह भी कोई नौकरी हुई ? लोगो के झूठे बर्तन उठाओं, यहाँ पर तो तुम्हारे भाई के घर में नौकरों की लाइन लगी रहती है । ”
” अरे यार, वहा अगर आप स्टूडेंट वीसा पर गए है तो नौकरी तो करनी ही पड़ती है। वहा कोई छोटा बड़ा नहीं और वहा सब एक दुसरे की इज़्ज़त करते है, मिस्टर या मिस करके सम्बोधन करते है, ” अमन बोला
” हमारे यहाँ सब से बड़ी प्रॉब्लम है की शिक्षा के बावजूत, डिग्री लेने के बाद भी कोई ढंग की नौकरी नहीं मिलती, चाहे सरकारी हो या प्राइवेट। अभी पिछले दिनों पुलिस में कोई 500 – 600 की नौकरियां के लिए करीब 20 हज़ार एप्लिकेंट थे। यहाँ तो नौकरी के लिए सिफारिश और पैसा दोनों चाहिए, ” दिनेश ने बातों का सिलसिला जारी रखा।
” यह तो है, यहाँ हर जगह भ्रष्टाचार है, ” अमन बोलै।
” मैं तो यह बोलूंगा की यहाँ आम आदमी की कीमत कीड़े मकौड़े की तरह है , ” मोहिंदर बोलै , ” हमारे मोहल्ले में स्नैचिंग की बहुत वारदात होती है। बेरोज़गारी के कारण कई युवा नशे और लूट पाट करते हुए पकडे गए है, ” गुरप्रीत बोला।
” यह बात तो है, हमारे देश में अब युथ के लिए कोई फ्यूचर नहीं है, तभी हमारे बच्चे विदेश जाना चाहते है, ” अरुण बोला जिसके दोनों बेटे ऑस्ट्रेलिया जॉब करते है और शादी करके वही बस गए है।
इतने में चाय आ गई। सब चाय की चुस्किया लेने लगे और मैं सोचने लगा की क्या सच में हमारे देश में युवाओं का कोई भविष्य नहीं है ? अगर सब युवा ऐसे ही बहार जाने लगे तो इस देश का भविष्य कैसा होगा ?
 सौजन्य – नवभारत टाइम्स