Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 18 Nov 2021 5:37 pm IST


इंसानों के लिए दूसरी धरती तलाशने की मुहिम में लगे अंतरिक्ष यात्री


स्पेसएक्स क्रू मिशन-2 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में 6 महीने बिताकर 4 अंतरिक्ष यात्री धरती पर सुरक्षित लौट आए। भारतीय समय के अनुसार सभी ने 9 नवंबर मंगलवार को सुबह मैक्सिको की खाड़ी में लैंडिंग की, इनमें नासा के दो अंतरिक्ष यात्री कमांडर शेन किंब्रू और पायलट मेगन मैकआर्थर थे, उनके साथ जापान के अकिहितो होशिदे और फ्रांस के थॉमस पेस्केट भी थे। एक दिन बाद ही यानी 10 नवंबर को खराब मौसम सहित कई अन्य कारणों से काफी विलंब के बाद स्पेसएक्स का रॉकेट 4 अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हो गया।

अंतरिक्ष के लिए रवाना होने वाले इन चार अंतरिक्ष यात्रियों में जर्मनी के मैथायस मौरर (600 वें अंतरिक्ष यात्री), नासा के भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक राजा चारी, जो मिशन कमांडर हैं, अमेरिकी नौसेना सबमरीन अधिकारी और परमाणु इंजीनियर कायला बैरन तथा टीम के नामित पायलट और सेकेंड इन कमांड थॉमस मार्शबर्न हैं। ये अंतरिक्ष यात्री लगभग 22 घंटे की उड़ान के बाद 11 नवंबर को पृथ्वी से करीब 250 मील यानी 400 किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे, जहां इनका स्वागत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पहले से मौजूद तीन अंतरिक्ष यात्रियों, यानी एक अमेरिकी और दो रूसी अंतरिक्ष यात्रियों (शकाप्लेरोव व डबरोव) ने किया। इस मिशन को क्रू-3 नाम दिया गया है। ये सभी अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर 6 महीने तक रहेंगे‌‌।

चीन के तीन अंतरिक्ष यात्री भी इस समय अपने निर्माणाधीन अंतरिक्ष केंद्र पर हैं। वे वहां 6 महीने के मिशन पर हैं। इस मिशन को झाई झिगांग कमांड कर रहे हैं। चीन की महिला अंतरिक्ष यात्री वांग यापिंग ने 8 नवंबर को तड़के करीब साढ़े छह घंटे तक अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर निकलकर अंतरिक्ष में चहलकदमी करके एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। वांग और झिगांग के स्पेस वॉक के समय तीसरे सहयोगी अंतरिक्ष यात्री ये ग्वांगफू मॉड्यूल के अंदर से उन्हें जरूरी मदद मुहैया करा रहे थे।

वर्तमान में अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में सिर्फ एक ही स्पेस स्टेशन है, ये अंतरिक्ष में कम ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। यहां 19 देशों के 241 अंतरिक्ष यात्री औसतन 6-6 महीने तक रहने के लिए आते हैं। ये स्पेस स्टेशन आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगशाला की तरह है। जिस पर यात्री, अंतरिक्ष में रहने के तरीके, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और अन्य वैज्ञानिक रिसर्च करते हैं। इसे अमेरिका और रूस सहित 16 ताकतवर देशों ने मिलकर 120 मिलियन डॉलर की लागत से तैयार किया है। अंतरिक्ष में जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को महीनों या सालों तक ट्रेनिंग दी जाती है। आईएसएस पर हर समय कम से कम 6 अंतरिक्ष यात्री रहा करते हैं। आईएसएस 27,580 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर करता है। इसके 10 खास मॉड्यूल में सोने का बंकर, बाथरूम, लैब और एक छोटा जिम भी होता है। अंतरिक्ष यात्री यहां रहकर माइक्रोग्रैविटी की चुनौती को समझने और उसमें महारत हासिल करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि अगर हम अपने सौरमंडल के अलग ग्रह पर बसना चाहते हैं तो गुरुत्वाकर्षण को समझना और उसे अपने उपयोग में लाना बेहद आवश्यक है।

17 महीने से अधिक अंतरिक्ष केंद्र पर रहने वाले स्कॉट केली की लंबाई 2 इंच बढ़ गई थी, क्योंकि माइक्रोग्रैविटी में कम दबाव ने उनकी रीढ़ की हड्डी को फैला दिया था, लेकिन पृथ्वी पर लौटने के बाद उनकी लंबाई फिर से सामान्य हो गई। आईएसएस में प्रयोग किया जाने वाला पानी 94 प्रतिशत रिसाइकल वाला होता है। अंतरिक्ष यात्रियों के प्रमुख काम स्पेस का अध्ययन और प्रयोग, स्पेस सेंटर का रखरखाव, व्यायाम करना, स्टेशन के बाहर स्पेस वॉक करना, अपने इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर या पैड के जरिए धरती पर मौजूद वैज्ञानिकों से संपर्क स्थापित करके मिशन के बारे में जानकारी शेयर करना आदि हैं।

स्पेस में गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण वह चल नहीं सकते केवल तैरते रहते हैं। ऐसे में रोजमर्रा के जरूरी काम निपटाना भी बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है। इन्हें हड्डियों व मांसपेशियों से जुड़ी कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में 7 अंतरिक्ष यात्री व चीन के निर्माणाधीन अंतरिक्ष केंद्र के कोर माड्यूल तियान्हे में तीन चीनी अंतरिक्ष यात्री हैं।