म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री एक बार फिर हिल गई है। इसके एक बड़े नाम Quant म्यूचुअल फंड के खिलाफ हाल ही में जो आरोप सामने आए हैं, वो चिंता पैदा करते हैं। जिस इंडस्ट्री को अपने से लोगों को जोड़ने की खातिर मोटा कमिशन खर्च करना पड़ता हो, वहां अविश्वास की स्थिति पैदा हो रही है। अगर Quant के निवेशकों ने इस घटनाक्रम से घबराकर पैसा निकालना शुरू कर दिया तो पूरी इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ेगा। हालांकि शुरुआती रपटों में बड़ी निकासी के संकेत नहीं मिले हैं।
फंड इंडस्ट्री जल्द ही 60 लाख करोड़ के असेट्स मैनेज करने जा रही है। पिछले सिर्फ पांच साल में ये असेट्स डबल हो गए। ये सफर इतना आसान नहीं रहा है। जब 1964 में इंडस्ट्री की शुरुआत हुई तो 10 लाख करोड़ के असेट्स मैनेज करने में पांच दशक लग गए थे। अब आज के दौर में लोगों का भरोसा देखिए। सबसे ताजातरीन 10 लाख करोड़ एक साल से भी कम समय में हासिल हो गए। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट बता रही है कि भारत में घरेलू बचत तेजी से कम हो रही है। इसके बावजूद पिछले करीब एक साल से म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान लगातार नई ऊंचाई छू रहा है।
Quant के खिलाफ जो आरोप लगे हैं, उन्हें इंडस्ट्री में फ्रंट-रनिंग के नाम से जाना जाता है। इंडस्ट्री के अंदर काम करने वाले लोग इसके जरिये फायदा उठाते हैं। उसे पहले ही पता लग जाता है कि कि फंड हाउस किसी कंपनी के बहुत सारे शेयर खरीदने जा रहा है। वह लेन-देन होने से पहले अपने खाते में शेयर खरीद लेता है, ताकि बाद में उसे शेयरों के दाम बढ़ने का फायदा मिले। यह एक गंभीर अपराध है। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने Quant के केस की जांच शुरू की है। हालांकि फंड हाउस ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है। इसकी कई स्कीमें हाल में जोरदार रिटर्न देने के लिए मशहूर हुई हैं।
भरोसे को हिलाने वाले मौके पहले भी आए हैं। इससे पहले 2023 में एक्सिस म्यूचुअल फंड हाउस में ये मामला सामने आया था। मार्केट रेगुलेटर सेबी की जांच से पता चला कि फंड हाउस के तब के चीफ डीलर और 20 अन्य लोगों ने फ्रंट-रनिंग की थी। इस जरिये उन्होंने 30 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध लाभ कमाया था। अप्रैल 2023 में सेबी ने LIC के फ्रंट-रनिंग के लिए पांच संस्थाओं और व्यक्तियों पर शिकंजा कसा था। उनमें LIC के एक कर्मचारी के भी शामिल होने की रिपोर्ट आई। इन लोगों ने 2.44 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया। 2007 में एचडीएफसी म्युचुअल फंड का भी नाम इस तरह के केस में आया था। इसके अलावा कई मौकों पर फ्रंट रनिंग के खिलाफ कदम उठाए गए।
सेबी के निदेशक मंडल ने हाल ही में इस बारे में नियमों में संशोधन करने का निर्णय लिया था। इसके तहत फंड हाउसों को एक सिस्टम बनाने के लिए कहा गया है, जो फ्रंट-रनिंग की पहचान और रोकथाम कर सके। लेकिन इसकी प्रक्रिया जटिल है। इसमें छह महीने तक का वक्त लग सकता है। फंड इंडस्ट्री ने 2030 तक 100 लाख करोड़ के असेट्स मैनेज करने का लक्ष्य रखा है। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इसे कम और मध्यम आय वर्गों का विश्वास भी जीतना होगा। अगर इस विश्वास को फ्रंट रनिंग जैसी बातों से चोट पहुंचती है तो दो बातें होंगी। लोग खुद स्टॉक मार्केट में पैसा लगाएंगे, जो ज्यादा रिस्की हो सकता है। या फिर पुराने फिक्स्ड डिपॉजिट की ओर लौट चलेंगे।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स