अगर अब तक नहीं पूछा तो अब पूछिए मगर पूछिए जरूर। खुद से पूछिए क्यों? क्योंकि ऐसा सवाल पूछने से आपको जिंदगी के कई सवालों के जवाब मिलेंगे, आप जागरूक बनेंगे और तरक्की की राह पर आगे बढ़ेंगे। अगर आप ‘क्यों’ पूछना शुरू करते हैं, तो सबसे पहले तो इससे आपकी क्रिटिकल थिंकिंग बढ़ेगी। आप बेहोशी में ही कोई काम करते नहीं चले जाओगे। आप चीजों के, घटनाओं के, अपने बर्ताव के, खुद को मिलने वाली असफलताओं और दूसरे परिणामों के भीतर उतरने की कोशिश करोगे कि अगर कुछ नहीं हुआ, तो क्यों नहीं हुआ, कुछ हुआ, तो क्यों हुआ। आप किसी भी सूचना को ऐसे ही स्वीकार नहीं कर लोगे। जब आप ‘क्यों’ पूछना शुरू करोगे तो आप अपने जीवन की खरपतवार को छांटना शुरू कर दोगे और जीवन में सिर्फ मीनिंगफुल को ही जगह दोगे।
आपने देखा होगा छोटे बच्चे लगभग हर बात पर आपसे सवाल पूछते हैं – क्यों? वे अपनी जिज्ञासा शांत करना चाहते हैं। जिज्ञासा ही उनमें जीवन के प्रति उमंग भरती है। अगर आपको भी बच्चों की तरह उमंग वाला जीवन जीना है, तो जिज्ञासा पैदा करनी होगी। आपको भी पूछना होगा – क्यों? ऐसा क्यों होता है? ऐसा क्यों हुआ? ऐसा क्यों नहीं हो सकता? एक क्यों से न जाने कितनी जिज्ञासाएं जुड़ी हुई हैं। जब आप अपनी जिज्ञासाओं को शांत करते हो, तो यही प्रक्रिया आपको बहुत कुछ नया भी सिखा जाती है। आप अपने ही विचारों, अपने ही इमोशंस और अपने ही व्यवहार को लेकर सवाल पूछ सकते हो कि ऐसे विचार अगर आ रहे हैं, तो क्यों आ रहे हैं। ऐसे इमोशंस आप महसूस कर रहे हो, तो क्यों कर रहे हो। आपके किसी खास तरह के व्यवहार की वजह क्या है? सवाल पूछने से ही हम प्रभाव से कारण की ओर गति करते हैं।
सवाल अगर नहीं पूछते तो हम प्रभाव में ही अटके रहते हैं। जैसे जी रहे हैं, जो नुकसान उठाते हुए जी रहे हैं, वैसे ही जीते रहते हैं। क्योंकि हमें पता ही नहीं चल पाता कि इसकी वजह क्या है। यह जानना कि हमारा कौन-सा व्यवहार हमें जीवन में प्रोग्रेस की ओर ले जा रहा है और कौन-सा व्यवहार हमें अवनति की ओर ले जा रहा है, हमें अपने हित में पॉजिटिव फैसले लेने में मदद करता है। ऐसा भी होता है कि जब हम किसी लक्षण को लेकर सवाल पूछते हैं कि हमारे जीवन में कुछ भी क्यों हो रहा है, तो वह सवाल हमें मूल समस्या की ओर ले जाता है। मसलन कोई इस बात को लेकर सवाल पूछ सकता है कि आजकल मुझे दिन में ज्यादा नींद क्यों आ रही है। ऐसा जानने के बाद आप अपनी नींद के प्रति सचेत बनोगे, जागरूक बनोगे और नींद पर नजर रखोगे। यह नजर रखना आपको नींद पूरी न होने या ठीक से न आने की वजह तक पहुंचाएगा। पता चला कि आपके छाती के बल लेटने से समस्या हो रही है या एसी चलाकर सोने से दिक्कत हो रही है या आप खाना बिना पचे ही सोने की गलती कर रहे हो। सवाल पूछोगे, तो जवाब की ओर जाओगे और इस तरह आपको समस्याओं का समाधान मिलना शुरू होगा।
यह तो थी खुद के व्यवहार को लेकर सवाल पूछने की बात, जब आप दूसरों के व्यवहार को लेकर सवाल पूछोगे, तो आपको दूसरों की परेशानियां समझ में आएंगी, दूसरों की तकलीफ का अंदाज होगा। कोई दूसरा व्यक्ति किसी खास तरीके से क्यों काम कर रहा है यह सवाल आपको उसकी परेशानियों और तकलीफों की ओर ले जाएगा और उसके प्रति आपके व्यवहार में क्रोध और भर्त्सना की जगह सहानुभूति और करूणा लाएगा।
एक और बात यह कि जब आप खुद से ‘क्यों’ पूछेंगे तो अपने कामों को करने के बेहतर तरीके खोजेंगे, पर जब आप दूसरों के काम को लेकर ‘क्यों’ पूछोगे कि क्यों वे किसी काम को किसी खास तरह से करते हैं, तो आपको दूसरों के अच्छे कामों की वजह भी मालूम चलेगी और आप इन वजहों को अपने जीवन में भी अपना सकेंगे। क्यों पूछने का एक और पहलू यह है कि जब हमें अपने कार्यों, व्यवहार और मूल्यों को लेकर ‘क्यों’ का जवाब पता होता है, तो हमारा खुद पर भरोसा बढ़ता है, हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। तब हम दूसरों को बहुत प्रभावी तरह से अपने काम और व्यवहार के बारे में बता पाते हैं।
कुल मिलाकर यह कि एक अकेला ‘क्यों’ हमारे जीवन की कई गुत्थियों को खोल साकता है, कई परेशानियों को दूर कर सकता है और जीवन को कई स्तरों पर कहीं बेहतर बना सकता है। इसलिए दूसरों से पूछो न पूछो, पर खुद से हर बात पर सवाल पूछो- क्यों?
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स