भारत देश का सबसे धार्मिक आयोजन महाकुंभ 12 साल में एक बार बनाया जाता है महाकुंभ में शामिल होने वाले लोगों सहित संतों का यह सबसे बड़ा त्यौहार माना गया है देश-विदेश से आने वाले लोग भी इसमें शामिल होते हैं और मां गंगा का आशीर्वाद लेते हैं निक इन महाकुंभ की सबसे अभूतपूर्व झांकी यानी कुंभ में शामिल होने वाले अखाड़े अपने आप में एक चर्चा का विषय है।
आपको बता दें कि महाकुंभ में तेरा अखाड़े शामिल होते हैं और इन 13 अखाड़ों की अपनी अलग ही विशेषताएं हैं । इनस 13 अखाड़ों में निरंजनी अखाड़ा, जूना अखाड़ा, महानिर्वाण अखाड़ा, अटल अखाड़ा,आह्वान अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, पंचाग्नि अखाड़ा, नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा, उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा,उदासीन नया अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा और निर्मोही अखाड़ा का शामिल है । वहीं आज हम आपको इन 13 अखाड़ो के बारे में विस्तार से बताएंगे । तो चलिए शुरु करते है ।
1.श्री निरंजनी अखाड़ा
सबसे पहले बात करते हैं श्री निरंजनी अखाड़े की , इस अखाड़े की स्थापना 826 ई में गुजरात के मांडवी हुई थी । बता दें कि निरंजनी अखाड़ा अहना इष्ट देव भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय को मानता है । गौर करने वाली बात ही है कि इनमें दिगंबर साधु महेंद्रा महामंडलेश्वर शामिल होते हैं । वहीं उनकी शाखाएं इलाहाबाद उज्जैन हरिद्वार त्रिंबकेश्वर उदयपुर में है ।
2.जूना अखाड़ा
जूना अखाड़ा कुंभ में शामिल होने वाले नामी अखाड़े में से एक है । इस अखाड़े की शुरूवात उत्तराखंड राज्य के करणप्रयाग में हुई थी आपको बता दें कि जूना अखाड़ा को भैरव अखाड़ा भी कहा जाता है । वहीं के इष्ट देव रुद्र अवतार दत्तात्रेय हैं । वहीं इस अखाड़े कीअभूतपूर्व झांकी यानी नागा साधु जब गंगा मां में स्नान के लिए उतरते हैं तो हरिद्वार का घाटों का सौदर्य और भी निखर जाता है ।
3.श्री महानिर्वाणी अखाड़ा
महानिर्वाणी अखाड़ा भी अपने आप में एक अलग पहचान रखता है । आपको बता दें कि इस अखाड़े की स्थापना 671 ई में हुई थी । वहीं इस अखाड़े के इष्ट देव कपिल महामुनी है । बता दें, कि इतिहास में भी इस अखाड़े एक अहम योगदान है । सन 1260 में महंत भगवान नंद गिरी के नेतृत्व में 22 हजार नागा साधुओं ने कनखल स्थित मंदिर को आक्रमणकारी सेना के कब्जे से छुड़ाया था।
4.अटल अखाड़ा
अटल अखाड़ा अपने नाम के तरह अटल है ।वहीं इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान श्रीगणेश हैं। इनके शस्त्र-भाले को सूर्य प्रकाश के नाम से जाना जाता है। इस अखाड़े की स्थापना गोंडवाना में सन् 647 में हुई थी। इसका केंद्र भी काशी में है। इस अखाड़े का संबंध निर्वाणी अखाड़े से है।
5.आवाह्न अखाड़ा
इस अखाड़े की स्थापना 646 ई में हुई थी जबकि 16 वी शताव्दी में इसे दोबारा से संयोजित किया गया था । आवाह्न अखाड़े नें अपना इष्ट देव श्री दत्तात्रेय और श्री गजानन दोनों को ही माना है । वही इस अखाड़े का मुख्य केंद्र काशी है ।
6.आनंद अखाड़ा
अब बात करते हैं आनंद अखाड़े की आनंद अखाड़े की स्थापना 855 ई में मध्यप्रदेश में हुई थी वह इसका मुख्य केंद्र वाराणसी बताया गया है । इसकी शाखाएं इलाहाबाद उज्जैन और हरिद्वार में है।
7.पंच अग्नि अखाड़ा
पंच अग्नि अखाड़ा या कहे अग्नि अखाड़ा , जिसकी स्थापना सन 1957 में हुई थी । बता दें कि इस अखाड़े इस अखाड़े के साधु नर्मदा-खण्डी, उत्तरा-खण्डी व नैस्टिक ब्रह्मचारी में विभाजित है।
8.नाग पंथी गोरखनाथ अखाड़ा
नाग पंथी गोरखनाथ अखाड़ा प्रमुख अखाड़ो में से एक है आपको बता दें कि इस अखाड़े की स्थापना 866 ई में औलिया गोदावरी संघ में हुई थी । इस अखाड़े मुख्य देवता गोरखनाथ है , इसमें 12 पंथ शामिल है । आपको बता दें कि यह यह अखाड़ा संपात की योगिनी कॉल नाम से प्रसिद्ध है ।
9.वैष्णव अखाड़ा
इस अखाड़े की स्थापना अयोध्या में हुई थी। यह अखाड़ा लगभग 260 साल पुराना है। सन 1905 में यहां के महंत अपनी परंपरा में 11वें थे। दिगंबर निम्बार्की अखाड़े को श्याम दिगंबर और रामानंदी में यही अखाड़ा राम दिगंबर अखाड़ा कहा जाता है।
10.नया उदासीन पंचायती अखाड़ा
सन् 1902 में उदासीन साधुओं में मतभेद हो जाने के कारण महात्मा सूरदासजी की प्रेरणा से एक अलग संगठन बनाया गया, जिसका नाम उदासीन पंचायती नया अखाड़ा रखा गया। इस अखाड़े में केवल संगत साहब की परंपरा के ही साधु सम्मिलित हैं।
11. उदासीन नया अखाड़ा
इस अखाड़े का स्थान कीडगंज, प्रयागराज में है। यह उदासी का नानाशाही अखाड़ा है। इस अखाड़े में चार पंगतों में चार महंत इस क्रम से होते हैं। 1. अलमस्तजी का पंक्ति का, 2. गोविंद साहबजी का पंक्ति का, 3. बालूहसनाजी की पंक्ति का, 4. भगत भगवानजी की परंपरा का।
12.निर्मल अखाड़ा
इस अखाड़े की स्थापना सिख गुरु गोविंदसिंह के सहयोगी वीरसिंह ने की थी। ये सफेद कपड़े पहनते हैं। इसके ध्वज का रंग पीला या बसंती होता है और ऊन या रुद्राक्ष की माला हाथ में रखते हैं।
13.निर्मोही अखाड़ा
निर्मोही अखाड़े की स्थापना साल 1720 में राम नंदा चार्य ने की थी बता दें कि अखाड़े के मठ और मंदिर उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड मध्य प्रदेश राजस्थान बिहार और गुजरात में भी है माना जाता है ।
किन्नर अखाड़ा
2016 में ही सिंहस्थ कुंभ के दौरान एक और नया अखाड़ा सामने आया, जिसका नाम है किन्नर अखाड़ा. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस अखाड़े को भी मान्यता नहीं दी है. लेकिन योगनगरी हरिद्वार में इस बार ये अखाड़ा ना सिर्फ शामिल हुआ है , बल्कि इस अखाड़े ने इतिहास में पहली बार अपनी पेशवाई भी निकाली है ।