बतौर फैन शाहरुख खान से रिश्ता हमेशा लव-हेट
वाला रहा है। बचपन में पहली बार जब उन्हें ‘सर्कस’ में
देखा तो उनमें कशिश महसूस की। कुछ था उनमें जो रुक कर देखने के लिए मजबूर करता था।
क्या था तब इतनी समझ नहीं थी लेकिन उनमें ऐसा कुछ था जो ज़बरदस्त बांधता था। उनके
साथ यही लगाव दीवाना, बाजीगर, डर और दिलवाले
दुल्हनिया ले जाएंगे के साथ आगे बढ़ता गया। बीच में उनकी कोई फिल्म फ्लॉप होती थी
तो वैसे ही बुरा भी लगता था जैसे उस वक्त सचिन तेंदुलकर के जल्दी आउट होने पर लगता
था। उनकी एक भी फ्लॉप फिल्म एक निजी असफलता लगती थी। जैसे आपके किसी अपने को ही
दुख पहुंचा हो। लेकिन वक्त के साथ यही शाहरुख धीरे-धीरे अपना आकर्षण खोने लगे।
उनके हाव-भाव, बॉडी लैंग्वेज, उनका सारा
मैनिरज़्म बोर करने लगा। फिल्मों के बाहर भी उनकी शख्सियत में ‘मैं’
बड़ी
हावी हो गई थी। उनकी ये ‘मैं’ उनके इंटरव्यूज़,
उनकी
अदाकारी में हर जगह दिखने लगी थी। एक कलाकार के लिए बड़ा जरूरी होता है कि वो अपनी
कामयाबी को बड़ी गंभीरता से न लें। आप जो हो गए हैं उसे ज्यादा दिल से न लगाएं। और
जब उस बारे में ज़्यादा सोचने लगें, तो आपकी वो सोच आत्ममुग्धता बनकर अपने
रोएं-रोएं से झांकने लगती है।
मुझे याद आता है कि ‘हम दिल दे चुके
सनम’ के वक्त संजय लीला भंसाली ने ऐश्वर्या राय को कहा था कि तुम ये भूल
जाओ कि तुम दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला हो, तुम मिस वर्ल्ड
रही हो। क्योंकि अगर तुम ये नहीं भुलाओगी तो ये स्क्रीन पर तुम्हारे किरदार में
झलकेगा और इससे नंदिनी की मासूमियत भंग हो जाएगी!
वक्त से साथ शाहरुख के लिए ये भूलना मुश्किल हो
गया कि वो एशिया के सबसे बड़े सुपरस्टार हैं। भारत के बाद सबसे ज़्यादा पहचाने
जाने वाले एक्टर हैं। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बेमिसाल है। उनकी हाज़िर जवाबी कमाल है।
कहते हैं अपनी अच्छाइयों के बारे में ज़्यादा सोचने पर आप में उसे लेकर एक चालाकी
आ जाती है और आप उसे लेकर सहज नहीं रह पाते। बतौर एक्टर शाहरुख के साथ भी वक्त के
साथ वही हुआ। वो चाहे कोई भी रोल कर लें लेकिन उनकी शख्सियत पर सवार ‘किंग
खान’ उनका पीछा नहीं छोड़ता था। वो फिल्म में किरदार चाहे कोई भी कर रहे
हों लगता था कि बोल शाहरुख ही रहा है। और ठीक यहीं से बतौर स्टार उनके बुरे दिन भी
शुरु हुए और एक के बाद एक उनकी फिल्में पिटने लगीं। वही शाहरुख खान थे, वही
फिल्म इंडस्ट्री थी, वही लाखों-करोडो़ं फैन्स थे मगर इन सारी चीज़ों
का हासिल वो नहीं रह गया था जो पहले था। उनके लिए कुछ भी क्लिक होना बंद हो गया।
ठीक उसी तरह जैसे विराट कोहली के शतक आने बंद
हो गए हैं। मुझे लगता है कि वो अगर थोड़े विनम्र हो जाएं, तो अपने लिए
चीज़ें आसान कर लेंगे। जब सब कुछ आपके पक्ष में चलता है तो बहुत मुमकिन है कि आपको
लगने लगे कि मैंने जीवन को साध लिया है। मैंने सफलता का सूत्र ढूंढ लिया है। मैं
इतनी और ऐसी मेहनत करूंगा, तो मुझे कामयाब होने से कोई नहीं रोक
पाएगा। लेकिन जीवन सिर्फ गणित नहीं है। ये कविता भी है, दर्शन भी और
रहस्य भी। अगर सिर्फ आपकी मेहनत से आप सफल होते हों, तो ये फॉर्मूला
दुनिया के हर कामयाब इंसान में गुरूर पैदा कर देगा। और जब आप ऐसा सोचते हैं तो
आपके जश्न में, अपनी सफलताओं के बखान में, अहंकार
नहीं, संयम झलता है। वो संयम जो ईश्वर को नाराज़ करने के डर की वजह से आता
है।
वक्त के साथ जीवन आपको सिखाता है कि मेहनत तो
ज़रूरी है कि लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है ये समझना कि ‘जैसे मैं वहां
था, तो मेरी जगह कोई और भी हो सकता था सकता’। ऐसा कोई और जो
मुझसे भी ज़्यादा काबिल था लेकिन वो गलत जगह पर था। हो सकता है आप में सचिन
तेंदुलकर से ज़्यादा प्रतिभा हो लेकिन 5 साल की उम्र में आपकी प्रतिभा पहचानने
के लिए आपके पास अजित तेंदुलकर जैसा भाई न हो। हो सकता है आपके पास अजित जैसा भाई
भी हो लेकिन आपके हुनर को निखारने के लिए वहां कोई रमाकांत आचरेकर जैसा गुरु न हो।
ऐसी सोच इंसान को कृतज्ञता से भरती है और
कामयाबी को पचाने में मदद करती है। लेकिन जब आप अपनी सफलता के लिए खुद को ही
इकलौती वजह मानते हैं, तो असफलता में भी आप खुद को पूरी तरह अकेला
पाते हैं। आपको लगता है कि आपकी प्रार्थना सुनने वाला कोई नहीं। फिर उसी प्रतिभा
के साथ न कोई फिल्म चलती है और न ही दो साल तक कोई शतक लगता है।
सवाल है ये सारी बातें क्यूं…ऐसा
कौन सा पंच है जिसके लिए ये सारा बिल्ट अप क्रिएट किया है। तो बात ये है कि शाहरुख
खान की आने वाली फिल्म डंकी के मौके पर जब कल उनका ये ट्वीट पढ़ा, तो
ये सारे ख्याल एक-एक कर दिमाग में आने लगे।
कल उनकी फिल्म का टीज़र रिलीज़ हुआ है। इस
टीज़र में शाहरुख राजकुमार हिरानी के साथ काम करने को बेकरार दिख रहे हैं। इस
टी़ज़र को शेयर करते हुए उन्होंने जो Tweet किया है उसमें
भी वो राजकुमार हिरानी का धन्यवाद कर रहे हैं। टीज़र और उनका ट्वीट बता रहा है कि
वो राजकुमार हिरानी के साथ काम करने को लेकर कृतज्ञ हैं। ऐसा करके वो ये भी मान
रहे हैं कि आज अपने करियर में उन्हें राजकुमार हिरानी की सख़्त ज़रूरत है।
ये सब देख-पढ़कर मुझे बड़ी खुशी हुई। शाहरुख
खान जैसे बड़े एक्टर और कुछ हद तक आत्मकेंद्रित इंसान को इतने खुले दिल से अपनी
हकीकत स्वीकार करते देखना बेहद अच्छा लगा। लगा कि वो थोड़ा झुक रहे हैं। ऐसी कुछ
बातें हाल-फिलहाल उन्होंने हंसी मज़ाक में कही भी हैं। लेकिन नई फिल्म के मौके पर
इतनी साफगोई से (भले ही मज़ाक में) उनका ये कहना पसंद आया। ऐसा करके वो कृतज्ञता
दिखा रहे हैं। खुद को नीचे रख रहे हैं। किसी और का रूतबा स्वीकार कर रहे हैं। शायद
वक्त के साथ वो भी समझ गए कि सीधी कमर के साथ आप लगातार ऊपर नहीं चढ़ सकते। लगातार
चढ़ाई करने के लिए आपको झुकना ही पड़ता है। और आगे बढ़ते रहने के लिए ये झुकना ही
सबसे महत्वपूर्ण है।
बात ख़त्म करने से पहले इसी संदर्भ में मैं बचपन से जुड़ी एक
धुंधली याद का ज़िक्र ज़रूर करना चाहूंगा। सालों पहले मैंने टीवी पर मशहूर
मुक्केबाज़ मोहम्मद अली की एक क्लिप देखी थी जिसमें वो सोनी लिस्टन के खिलाफ
(ब्यौरा बाद में पता चला) अपने वर्ल्ड टाइटल मुकाबले से पहले कह रहे थे, I am the greatest
ever…इसके अलावा अली ने कहा कि मैंने
इस जोकर को 15
बार समझाया है कि मैं तुम्हें
बुरी तरह हरा दूंगा अगर ये अब भी नहीं समझ रहा, तो मैं इसे चीर दूंगा। इसी स्पीच में उन्होंने और भी कई तरह की
बड़बोली बातें की और बच्चा होने के बावजूद ये बातें, उनकी ये टोन मुझे अच्छी नहीं लगी।
आप चाहें तो कह सकते हैं कि जब
तक खिलाड़ी जीत रहा है, तो इस
बात से क्या फर्क पड़ता है कि वो विनम्र है या अकड़ू…मतलब जीतने से है, चैम्पियन
बनने से है। बात सही लगती है और मोहम्मद अली भी बाद में उस मुकाबले में सोनी
लिस्टन को हराकर चैंपियन बन गए थे। मगर क्या आप जानते हैं फिर क्या हुआ…
साल 1980 में महज़ 38 साल की उम्र में मोहम्मद अली को पार्किंसन नाम की बीमारी हो
गई…वो शख्स जो दुनिया का सबसे ताकतवर
इंसान था, जो अपने एक मुक्के से किसी भैंसे का
भी सिर खोल सकता था, उसके
हाथों में इतनी ताकत भी नहीं रह गई वो ठीक से एक पानी का गिलास भी पकड़ सके …अपने पैरों पर ठीक से खड़ा हो सके…खुद अपने शरीर को काबू में रख सके। मोहम्मद अली ने बाद में
अपना सारा जीवन इसी तरह जिया और साल 2016 में इसी
बीमारी से उनकी मौत हो गई।
I am the greatest
ever कहने वाला शख्स आखिरी सालों में
अपना नाम तक ठीक से नहीं ले पाया! सफलता में विनम्र रहना और कुछ नहीं, अपनी सफलता के लिए ईश्वर का धन्यवाद करना है। वैसे भी वक्त
किसी Insta
Influencer की डीपी से ज़्यादा तेज़ी से
बदलता है।
सौजन्य से : नव भारत