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• Thu, 1 Aug 2024 12:28 pm IST


क्या पेरिस में तोक्यो से ज्यादा चमकेंगे भारतीय


पेरिस ओलिंपिक्स 26 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस बार भारतीय एथलीट्स के सामने चुनौती है अपना नया सर्वश्रेष्ठ कायम करने की। पिछली बार, तोक्यो ओलिंपिक्स में हमारे एथलीट्स ने इतिहास रचते हुए अब तक के सबसे ज्यादा सात मेडल जीते थे। इसके बाद, 2023 में आयोजित एशियन गेम्स में भी हमने शानदार प्रदर्शन किया और 100 से ज्यादा मेडल अपने नाम किए। इवेंट दर इवेंट भारतीय एथलीट्स के प्रदर्शन में लगातार सुधार दिख रहा है। इसलिए पूरा देश आस लगाए बैठा है कि हमारे खिलाड़ी तोक्यो से भी ज्यादा चमक पेरिस में बिखेरेंगे।

नीरज से उम्मीदें: जिस एक एथलीट से सबसे अधिक उम्मीदें लगाई गई हैं, वह हैं नीरज चोपड़ा। नीरज ने पिछली बार जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीता था। तब एथलेटिक्स में पहली बार भारत के खाते में कोई मेडल आया था। नीरज इस समय शानदार फॉर्म में भी हैं। पिछले महीने फिनलैंड में उन्होंने 85.97 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड जीता था। हर इवेंट में सफलता के झंडे गाड़ते चले आ रहे नीरज यह जरूर चाहेंगे कि पेरिस में भी वह गोल्ड जीतकर एक नया कीर्तिमान अपने नाम करें। ओलिंपिक्स में किसी व्यक्तिगत स्पर्धा में दो गोल्ड जीतने का कीर्तिमान, जो अभी तक किसी भारतीय के हिस्से नहीं आया है।

बैडमिंटन में दबदबा: बैडमिंटन में पिछले तीन आयोजन से लगातार भारत का खाता खुल रहा है। इन तीन में से दो मेडल पीवी सिंधु ने जीते हैं। हालांकि सिंधु का हालिया प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है, लेकिन वह अच्छी तरह जानती हैं कि बड़े मंच पर किस तरह से अपना सर्वश्रेष्ठ देना है। सिंधु के अलावा बैडमिंटन में मेंस डबल्स स्पर्धाओं में सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी से भी बहुत उम्मीदें हैं। दोनों जबरदस्त फॉर्म में हैं और एक साथ मिलकर देश को कई मेडल दिला चुके हैं। लक्ष्य सेन भी पुरुष सिंगल्स में मेडल के दावेदारों में शामिल हैं।

कुश्ती पर भरोसा: 2008 पेइचिंग ओलिंपिक्स से हम रेसलिंग में लगातार मेडल जीत रहे हैं। इस क्रम को जारी रखने की जिम्मेदारी अनुभवी विनेश फोगाट पर होगी। विनेश तीसरी बार ओलिंपिक में खेलने उतरेंगी। वह जरूर चाहेंगी कि पिछले दिनों हुए विवादों का जवाब मेडल जीतकर दिया जाए। अंतिम पंघाल भी मेडल की प्रबल दावेदार हैं। पुरुष वर्ग में भारत के लिए इस बार केवल अमन सहरावत ही चुनौती पेश कर सकेंगे।

पंच दमदार: वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू पर देश को मेडल दिलाने का भार होगा। चानू ने पिछली बार सिल्वर जीता था। हालांकि तोक्यो ओलिंपिक्स के बाद से चानू का सफर बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। वह चोट से परेशान रही हैं। फिर भी वह अपने मेडल का रंग बदलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। इसी तरह, बॉक्सिंग में लवलीना बोरगोहेन ने पिछली बार ब्रॉन्ज जीता था। 2008 के बाद यह पहला मौका था जब बॉक्सिंग में हमने कोई मेडल जीता। इस बार लवलीना के साथ ही निखत जरीन का दावा भी मजबूत है। निखत पिछली बार ओलिंपिक्स में हिस्सा लेने से चूक गई थीं। कुछ ऐसा ही अमित पंघाल के साथ भी हुआ था। दोनों के पास अतीत की कसक मिटाने का मौका है।

हॉकी से आस: भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 2020 में ब्रॉन्ज जीतकर ओलिंपिक मेडल के चार दशक लंबे सूखे को खत्म किया था। ओलिंपिक्स में 8 गोल्ड जीतने वाली टीम इंडिया से उम्मीद है कि वह इस आंकड़े को इस बार 9 पर पहुंचाएगी।

मेडल पर निशाना: पेरिस में हमारे 117 खिलाड़ी हिस्सा लेने वाले हैं। शूटिंग में सबसे ज्यादा खिलाड़ी उतरेंगे। शूटिंग में हम व्यक्तिगत स्पर्धाओं में गोल्ड भी जीत चुके हैं। टीम में शामिल कई खिलाड़ियों में मेडल पर निशाना लगाने की क्षमता है। इनमें कुछ नाम जो विशेष रूप से लिए जा सकते हैं, वो हैं – मनु भाकर, शिफ्त कौर समरा, अनीश भानवाला, ऐश्वर्य प्रताप तोमर, श्रेयसी सिंह। इसके अलावा गोल्फ में अदिति अशोक और दीक्षा डागर, टेबल टेनिस में अचंता शरत कमल और मनिका बत्रा, तैराकी में श्रीहरि नटराज, टेनिस में सुमित नागल, एथलेटिक्स पुरुष शॉटपुट में तेजिंदर पाल सिंह तूर, महिला 100 मीटर बाधा दौड़ में ज्योति याराजी, स्टीपल चेज में पारुल चौधरी और महिला जैवलिन थ्रो में अन्नु रानी पर निगाहें रहेंगी।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स