आज तोताराम का मूड ऑफ था वैसे ही जैसे मोदी जी के टैगोरत्त्व को बंगाल चुनावों में अस्वीकृत कर दिए जाने से राष्ट्रभक्तों का मूड ऑफ हो गया था. बोला- मास्टर, अब तो अमरीका से कट्टी करनी ही पड़ेगी.
हमने कहा- क्या तेरे क्लासफेलो बाईडेन साहब ने भाव नहीं दिया?
बोला- कर ले मजाक. कौन किसी की आहत भावना को समझता है? बाईडेन मेरे क्लासफेलो न सही लेकिन ट्रंप तो मोदी जी के जिगरी यार हैं. कैसे दौड़कर मिले थे, ह्यूस्टन में ‘हाउ डी मोदी’ और नरेद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम में ! एक प्राण दो देह. उन्होंने तो मोदी को ‘राष्ट्रपिता’ तक का दर्ज़ा ही दे दिया था.
हमने कहा- तो क्या हुआ? किस नामाकूल अमरीकी ने हमारे प्रिय अनुज का दिल खंडित कर दिया?
बोला- इसके कई कारण है. पहला तो यह कि जब हम यहाँ भारतीयता और हिंदुत्व की पवित्रता की रक्षा के लिए धर्म और मांसाहार के बीच दूरियाँ बनाने के लिए झटका और हलाल तथा रामनवमी और ईद पर मांस विक्रय बंदी जैसे ज़रूरी कार्यक्रम सम्पूर्ण राष्ट्र में चला रहे हैं वहाँ अमरीका में उन जगहों में भी तरह तरह के मांस, तरह तरह के पैकिंग में बेचे जाते हैं जहां धर्म-प्राण हिन्दू भारतीय व्रत के लिए अपने फलाहार खरीदने जाते हैं. यहाँ तक कि उन स्टोरों में बड़े मज़े से मांस भून-भान कर वहीँ खाने के लिए उपलब्ध भी करवा देते हैं. हिंदुत्त्व की कैसी निर्दय उपेक्षा?
हमने कहा- तो फिर सच्चे हिन्दुओं को अमरीका छोड़कर आ जाना चाहिए. धर्म से बड़ा तो धन और धंधा नहीं होता. या फिर वहीँ अमरीका में नई शाकाहारी पार्टी बना लें, या किसी भी मांसाहारी को वोट न दें. वैसे ‘परिवर्तित हृदय’ सम्राट अशोक जैसे किसी राजा के अतिरिक्त तो सभी राजा मांस खाया ही करते थे.
बोला- लेकिन वे तो गौमांस भी खाते और खुले में बेचते हैं. आखिर धर्म की इतनी ग्लानि तो बर्दाश्त नहीं की जा सकती ना. ऐसे में तो कोई न कोई ‘संभवामि युगे युगे’ होना ही चाहिए.
हमने कहा- लेकिन पक्के मित्रों से मात्र इतनी बात से ही तो संबंध नहीं तोड़े जा सकते. अब तो जापान में हुए क्वाड सम्मेलन में बाईडेन ने भी मोदी जी के नेतृत्त्व को स्वीकार कर लिया. फोटो नहीं देखा, कैसे मोदी जी के नेतृत्त्व में आस्ट्रेलिया, अमरीका और जापान के राष्ट्राध्यक्ष मोदी जी के पीछे-पीछे चल रहे थे. प्रगतिशील, निष्पक्ष और विश्वसनीय पत्र ‘पांचजन्य’ की हैड लाइन नहीं देखी-
‘विश्व गुरु भारत…नेतृत्त्व करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी’….
देश की विशिष्ट बुद्धिजीवी, तटस्थ विचारक और विद्वान स्मृति ईरानी जी का ट्वीट भी पढ़ लेता-
प्रधान सेवक नोज द वे, गोज द वे एंड शोज द वे.
वैसे हमारे हिसाब से वे इस प्रकरण का एक ज़रूरी और महत्त्वपूर्ण एंगल तो भूल ही गईं. उन्हें अंत में चौथा अनुप्रास ‘पोज़’ भी फिट करना चाहिए था.
बोला- ठीक है, मास्टर, वे मोदी जी को मान्यता देते हैं, और मांसाहार भी सभी कालों में, सभी धर्मों और देशों में रहा है लेकिन हिंदुत्व तथा हमारे आराध्यों, भावनाओं और आस्था का अपमान तो सहन करना संभव नहीं. हमसे तो किसी का ‘मोहम्मद’ नाम होना ही बर्दाश्त नहीं होता. हमारा तो ‘मोहम्मद’ की आशंका में ‘भंवर लाल जैन’ पर ही हाथ चल जाता है.
यहाँ हम हर मस्जिद की खुदाई करवाने में लगे हैं और वहाँ अमरीका में कोई तीसेक साल पहले साक्षात् शिवलिंग के लिए भी अमरीका ने मंदिर बनाने के लिए जगह नहीं दी.
हमने कहा- हमने भी कुछ ऐसा समाचार पढ़ा तो था.
बोला- पढ़ा क्या, बड़ी खबर थी. सीएनएन ने भी उसका कवरेज किया था. सेंफ्रंसिसिको में गोल्डन गेट पार्क में अचानक कलात्मक पत्थरों और स्तंभों के बीच बाबा प्रकट हुए, लोगों ने दूध, दही, जल आदि से अभिषेक किया, पूजा-पाठ शुरू कर दिया. जब आस्था और भावना हो तो किसी में भी ‘प्राण-प्रतिष्ठा’ हो ही जाती है.
हमने कहा- कहीं वह कुछ और तो नहीं था.
बोला- अनास्थावान तो अडंगा लगायेंगे ही जैसे कि ज्ञानवापी में शिवलिंग को लोग फव्वारा बता रहे हैं, वैसे ही वहाँ के कुछ कर्मचारियों ने कहा कि यह एक रोड ब्लोकर है जो कभी किसी काम के चलते रोड ब्लोक करने के लिए रखा गया था और इसके पास जो कलात्मक पत्थर और खम्भे हैं वे किसी स्पेनिश व्यक्ति के द्वारा १९३७ में यहाँ कुछ निर्माण करने के लिए जहाज से मंगवाए गए स्पेन की १२ वीं शताब्दी की किसी क्रिश्चियन मोनास्ट्री ने अवशेष हैं . लेकिन मास्टर, वह खम्भा तो ऊपर से एकदम गोलमटोल, चिकना और सुन्दर साक्षात् लिंग जैसा ही दिखाई दे रहा था. और फिर तिलक लगने और दुग्धाभिषिक्त होने के बाद तो साक्षात् बाबा विश्वनाथ लगने लगा था. लेकिन उन दुष्ट यवनों ने एक न सुनी. अब बाबा वहाँ पार्क के एक कोने में प्राण-प्रतिष्ठा के इंतज़ार में पड़े हैं. बाबा की उपेक्षा से कलेजा फटा जाता है.
मोदी जी बहुत उदार और सहिष्णु व्यक्ति हैं. वे यहाँ भी चल रही खुदाई-फुदाई और फव्वारा और शिवलिंग के बारे में मौन रहते हुए विकास को सही दिशा में अग्रसर करने में संलग्न है. हो सकता है वे बाबा के इस अपमान के बावजूद शायद अमरीका से संबंध न तोड़ें लेकिन मैंने तो सोच लिया है कि किसी अमरीकी राष्ट्रपति से कोई संबंध नहीं रखूँगा.
हमने कहा- बरामदा निर्देशक मंडल के सदस्य होने के नाते हम इस भीष्म प्रतिज्ञा में हम तेरे साथ हैं लेकिन तुझे मोदी जी से निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि अभी मई के शुरू में ही अपनी जर्मनी यात्रा में अपने स्वागत में उन्होंने भगवा झंडा लहरवाकर हिंदुत्व के लिए सकारात्मक संकेत दे तो दिया है और तिरंगे को उसकी औकात बता दी है.
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स