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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 19 Apr 2023 3:06 pm IST


सोशल मीडिया कंटेंट इंडस्ट्री से बढ़ेगा रोजगार


भारत में सोशल मीडिया प्रमोशन का बड़ा औजार बनकर सामने आया है। सोशल मीडिया यूजर्स अपनी बड़ी फैन फॉलोइंग का फायदा ‘सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर’ बनकर उठा रहे हैं] जो विज्ञापन के नए माध्यम के रूप में तेजी से पसंद भी किया जा रहा है। मूल्यांकन सलाहकार फर्म क्रोल की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक साल में एक तिहाई से भी अधिक भारतीय ब्रैंड्स ने इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग पर अपना खर्च दोगुना कर दिया है।

सोशल मीडिया अब आम इंटरनेट यूजर्स को स्टार बना रहा है। वर्चुअल वर्ल्ड में व्यक्ति सोशल मीडिया के किसी प्लैटफॉर्म (फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम) के जरिए किसी भी नेट कनेक्टेड व्यक्ति तक पहुंच बना सकता है और उसे प्रभावित कर सकता है। कोरोना महामारी ने जिस तरह से पूरी दुनिया का तेज डिजिटलीकरण किया, वह इस क्षेत्र की तरक्की का बड़ा कारण कहा जा सकता है:

भारत में सोशल मीडिया की कंटेंट क्रिएटर इंडस्ट्री 25 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है, जिसके साल 2025 में 290.3 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
सोशल मीडिया इंफ्लुएंसिंग अब कम खर्च में व्यक्ति या ब्रैंड को एक बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचाने का एक सुलभ तरीका बन रही है। आज भारत में लगभग 80 मिलियन कंटेंट क्रिएटर हैं, जिनमें विडियो स्ट्रीमर्स, ब्लॉगर्स, वॉइस ओवर आर्टिस्ट के साथ-साथ बड़ी संख्या में आम लोग भी शामिल हैं।

डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी ‘आई क्यूब्स वायर’ के एक शोध से पता चलता है कि लगभग 35 फीसदी ग्राहकों के खरीदारी निर्णय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की पोस्ट, रील्स और विडियो देखकर लिए जा रहे हैं।

affable.ai नाम के एक AI से चलने वाले इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग प्लैटफॉर्म के आंकड़े बताते हैं कि 10,000 से कम फॉलोअर्स वाले इन्फ्लुएंसरों ने 2022 में इंस्टाग्राम पर सबसे अधिक एंगेजमेंट अर्जित की है। वहीं, ऐसे इन्फ्लुएंसर, जिनके दस से पचास हजार के बीच फॉलोअर्स हैं, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर उन्हें दर्शक तो ज्यादा मिले, लेकिन उनकी एंगेजमेंट दर कम थी।


सोशल मीडिया विज्ञापन का एक अपरंपरागत माध्यम है, जो बाकी सारे मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और मेनस्ट्रीम मीडिया) से अलग है। दूसरे विज्ञापन माध्यमों के मुकाबले इसमें रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट अधिक है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर आमतौर पर साधारण लोग ही होते हैं, जिनके विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर काफी सारे फॉलोअर्स होते हैं। ऐसे इन्फ्लुएंसर अपनी इस लोकप्रियता का इस्तेमाल तरह-तरह के उत्पादों का विज्ञापन करने में करते हैं। देश के लाखों युवा सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को एक करियर के अच्छे विकल्प के रूप में देख रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर विज्ञापनों की दुनिया में एक नया आयाम गढ़ने के साथ ही इस दुनिया में सिलेब्रेटी स्टेट्स को भी खत्म भी कर रहा है। यहां हमारे-आपके बीच के लोग ही स्टार बन रहे हैं।

भारत में अभी इंटरनेट बाजार में पर्याप्त संभावनाएं हैं इसलिए सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर का यह दौर अभी चलेगा। मगर कुछ चिंताएं भी हैं। भारत के इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग उद्योग को विनियमन की आवश्यकता है ताकि तथ्यों के गलत प्रस्तुतीकरण से बचा जा सके। जनवरी में भारत के उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने ग्राहकों के हित सुरक्षित रखने के लिए इन पर गाइडलाइन की भी घोषणा की थी। सोशल मीडिया पर विज्ञापन करने वाले सिलेब्रिटीज भी इसके दायरे में होंगे। किसी भी भ्रामक विज्ञापन पर या गाइडलाइन न मानने पर इन्फ्लुएंसरों को 10 लाख तक का जुर्माना देना होगा। लगातार अवमानना पर 50 लाख तक जुर्माना देना होगा। साथ ही एंडोर्स करने वाले को 2 से 6 महीने तक किसी भी एंडोर्समेंट करने से रोका जा सकता है और उस प्लैटफॉर्म को ब्लॉक करने की कार्रवाई भी संभव है।

जरूरत है कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर खुद को आत्म-नियंत्रित करें, ताकि इस उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव पड़े। परंपरागत विज्ञापनों में शामिल खिलाड़ियों और सिने कलाकारों के प्रति लोगों का मोह एकदम से कम तो नहीं हुआ है, पर इसकी शुरुआत जरूर हो गई है। इन दोनों की लड़ाई में कौन जीतेगा, यह तो वक्त तय करेगा पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को भ्रामक विज्ञापनों से तो दूर रहना ही पड़ेगा।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स