देश में यह जनगणना का साल है. अंदेशा है कि अगले साल ही भारत सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा. यह अनुमान इस आधार पर है कि दो महीने पहले दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन की जनगणना की रिपोर्ट आ चुकी है. इस रिपोर्ट में चीन की आबादी अनुमान से बहुत कम बढ़ी है. सन 2021 में उसकी आबादी 141 करोड़ निकल कर आई है. और इस समय भारत की अनुमानित आबादी का आंकड़ा 140 करोड़ है. यानी बहुत संभव है कि भारत की जनगणना का काम पूरा होने तक वास्तविक आंकड़ा चीन की आबादी के बराबर इसी साल पहुंच जाए. यह बात सनसनीखेज़ इस लिहाज़ से है क्योंकि अब तक जनगणना के विशेषज्ञ यह अनुमान लगाते रहे हैं कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर को अगर नहीं संभाला गया तो सन 2027 तक भारत की आबादी चीन को पार कर सकती है. यानी मानकर चलना चाहिए कि आने वाले दिनों में अपने देश में आबादी को लेकर ज्यादा ही चिंताएं जताई जाने लगेंगी.
चीन की नई जनगणना में गौरतलब यह है कि सन 2020 तक उसकी जनसंख्या वृद्धि दर लगभग शून्य पर आ गई है. जबकि भारत की यह दर लगभग एक फीसद है. यानी हमारी 140 करोड़ की आबादी में हर साल एक करोड 40 लाख की बढ़ोतरी हो रही है. इस तरह से यह पक्का माना जाने लगा है कि अगर हमने इस साल चीन की आबादी को पार न भी किया तो भारत का दो साल के अंदर ही सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाना तय है. इस मौके पर याद किया जाना चाहिए कि चीन ने अपने यहां जनसंख्या नियंत्रण का काम अचानक ही नहीं कर लिया है. वह 40 साल पहले से इस काम में लगा है. उसने 1979 में ही अपने यहां वन चाइल्ड पॉलिसी बना ली थी. यह बात जरूर है कि जिस सख्ती से चीन ने जनसंख्या नियंत्रण की मुहिम चलाई उसके कुछ दुष्प्रभाव भी उसे झेलने पड़े.
लेकिन इस बात में दो राय नहीं है कि जनसंख्या नियंत्रण का बड़ा लक्ष्य उसने हासिल कर लिया. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि अपने यहां इस ओर न सोचा गया हो. हमने भी 60 के दशक में परिवार नियोजन पर जोर देना शुरू किया था और 70 के दशक में तो ताबड़तोड मुहिम चलाने की कोशिश की थी. उसके बावजूद अगर आज यह स्थिति है तो हमें अब नए सिरे से सोचना पड़ेगा. यह भी सोचना पड़ेगा कि हमारी पिछली कोशिशों में कब कब और कहां कहां कमी रह गई? आगे गंभीरता से सोचेंगे तो कोई न कोई रास्ता निकलेगा जरूर. कहने वाले तो यह भी कह सकते हैं कि चीन ने आखिर कई दशकों से इतनी बड़ी आबादी का प्रबंधन किया ही है तो उसी तरह हम भी कर लेंगे. लेकिन ऐसा सोचना जोखिम भरा है. हमें यह देखना पड़ेगा कि चीन की तुलना में हमारे पास अपनी आबादी की सार संभाल के लिए प्राकृतिक संसाधन कितने हैं?
संसाधनों को लेकर निकट भविष्य में क्या चुनौतियां खड़ी होने वाली हैं?तथ्य ये हैं कि भारत के पास दुनिया की कुल जमीन की तुलना में सिर्फ 2.3 फीसद जमीन है. जबकि दुनिया की कुल आबादी में इस समय भारत की आबादी 17.7 फीसद है. यानी दुनिया के मुकाबले भारत में आबादी का घनत्व साढे सात गुना ज्यादा बैठता है. जबकि चीन के पास सवा छह फीसद जमीन है. यानी जमीन के मामले में चीन का संकट हमसे कमोबेश एक तिहाई है. इसलिए अपनी आबादी चीन जितनी हो जाने को सामान्य घटना मानना एक जोखिमभरा मुगालता साबित हो सकता है.