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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 18 Jul 2023 11:00 am IST


जूलरी के शोरूम में अनोखा गिफ्ट


पिछले महीने एक पारिवारिक जरूरत से मैं बेटे के साथ पास के ही एक जूलरी शोरूम पर गया। शोरूम दोपहर 11 बजे खुलता था। हम लोग साढ़े 11 पहुंचे, यह सोच कर कि अब तक वह खुल ही चुका होगा। लेकिन हम लोगों के साथ ही सेल्‍समैन भी पहुंच ही रहे थे। शटर आधा गिरा था। कुछ कर्मचारी और एग्जिक्‍यूटिव अंदर चीजें व्‍यवस्थित कर रहे थे। वाचमैन ने हमें देख कर शटर उठा दिया। हम पहले ग्राहक थे, इसलिए सभी हमारी तरफ मुड़े और जरूरत पूछने लगे। एक सेल्‍सवुमन ने हमें सामान दिखाना शुरू किया। थोड़ी देर बाद ही उसने कहा कि हम लोग प्रारंभ में गायत्री मंत्र का पाठ करते हैं, इसलिए दो मिनट रुकना होगा।

सभी कर्मचारी पूरब की ओर मुंह कर खड़े हो गए। हम लोग भी। पहले तीन बार ऊं का गंभीर स्‍वर गूंजा, फिर तीन बार गायत्री मंत्र का पाठ किया गया। यह तो नहीं समझ आया कि मंत्र पाठ उनमें से किसी ने किया या यह रिकॉर्डेड था, लेकिन स्‍वर बहुत ही गंभीर और शुद्ध था। अच्‍छा लगा कि कुछ लोग गायत्री मंत्र के पाठ से अपना व्‍यवसाय शुरू करते हैं। अन्‍यथा लक्ष्‍मी-गणेश या अपने इष्‍ट के आगे दीप या अगरबत्‍ती जला लक्ष्‍मी जी सदा बोलकर ही व्‍यवसाय शुरू करने की परंपरा है। हम लोग लगभग एक घंटे शॉप में रहे। इस बीच कॉफी, चाय या ठंडा पूछ कर दिया गया, साथ में कुछ ड्राई फ्रूट्स भी। वैसे यह तो सामान्‍य शिष्टाचार है कि ग्राहक को चाय-पानी पूछा जाए। गर्मी इन दिनों सी हो तो ठंडा या पानी शॉप में अमूमन मिलता ही है। यहां इससे कुछ ज्यादा था, जो हमारे सामने आने ही वाला था।

जब हम चलने को हुए तो सेल्‍सवुमन ने इशारा किया और एक सहायक छोटी सी बुकसेल्‍फ ले आया। उसमें हिंदी और अंग्रेजी की दस-बारह किताबें थीं। उन्‍होंने आग्रह से कहा कि आप जो चाहें ले सकते हैं। यह हमारी तरफ से गिफ्ट है। हिंदी या अंग्रेजी की कोई भी किताब ले लें। इन पेपरबैक किताबों में कुछ उपन्‍यास, कुछ व्‍यक्तित्‍व निर्माण और कुछ तनाव दूर करने के उपाय सुझाने वाली थीं। उसने खुद एक-दो अंग्रेजी की किताबों को उठाकर उनके बारे में बताया। जब मैंने और बेटे ने किताबें देखनी शुरू कीं तो भद्र सेल्‍सवुमन ने कहा कि आप लोग चाहें तो दो ले सकते हैं। एक-एक दोनों लोग। यह सुझाव अच्‍छा लगा।

 मैंने अमृता प्रीतम का ‘पिंजर’ और बेटे ने आचार्य चतुरसेन का ‘गोली’ उपन्‍यास पसंद किया। पिंजर पर इसी नाम से डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने फिल्‍म भी बनाई है। गोली आचार्य चतुरसेन की सबसे अधिक बिकने वाली किताबों में एक है, जो राजस्‍थान के राजा-महाराजाओं और उनके बीच के रागात्‍मक संबंधों पर लिखी गई है। दोनों महान लेखकों की कई किताबें हम लोग पढ़ चुके थे। किताबों का यह गिफ्ट बहुत ही आनंददायक रहा। बड़ी दुकानों पर अपने ग्राहकों को आकृष्‍ट करने के लिए तरह-तरह के गिफ्ट या छूट देने की परंपरा है, लेकिन गिफ्ट में किताबें देते हमने पहली बार देखा था। निश्चित ही इस तरह की प्रथा शुरू करने वाला कोई साहित्यिक अभिरुचि का स्‍वामी होगा। मैंने उनके बारे में पूछा तो नहीं, लेकिन हम लोग बाहर निकलने के बाद भी काफी देर तक इस गिफ्ट के पीछे की मंशा की चर्चा करते रहे। हां, यह जरूर था कि किताबों के कवर के बाद पन्ने पर शो रूम का विज्ञापन था और अंग्रेजी में एक कोट भी- ‘There is no friend as loyal as a book.’ यानी किताबें सबसे वफादार दोस्त होती हैं।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स