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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 17 Jan 2022 2:58 pm IST


व्यंग्यः नो अमरीका गोइंग नो, सोमनाथ गोइंग


हमने कहा- तोताराम, तेरी यह हरियाणा-राजस्थान ‘खाँटी, खट्टर और मनोहर अंग्रेजी’ हम तो समझ लेंगे लेकिन औरों का क्या होगा. क्यों बिना बात ‘विश्वगुरु’ का मज़ाक बनवा रहा है. हम आज से ६५ वर्ष पहले भिवानी में अपनी नानीजी को दिल्ली से आया एक तार पढ़कर सुनाने के फलस्वरूप पिट चुके हैं.लिखा था भगवती नोट फीलिंग वेल सेंड संतकुमार. हमने हिंदी अनुवाद किया- भगवती नोट (भगवती नहीं रही ) फीलिंग वेल (कुँए में गिर गई)सेंड संतकुमार ( संतकुमार को भेजो.) इस अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद करके बता.

बोला- इसका अर्थ यह तो निकल नहीं सकता कि अमरीका भारत आने वाला था और अब नहीं आ रहा है.किसी के भी ‘अमरीका न जाने की सूचना’ के अतिरिक्त इसका कोई अर्थ नहीं निकल सकता.

हमने कहा- लेकिन इससे यह तो लगता है कि तू मोदी जी की तरह हर समय कहीं न कहीं जाता ही रहता, एक जगह टिककर न काम करता है, न बैठता है.जब कि हम देखते हैं तू साल में ३६५ दिन यहीं जमा रहता है. यह तो वही हुआ जैसे कोई अपनी रईसी का रोब ज़माने या गरीबी को छुपाने के लिए धनवान लोगों के बीच कहे- इस बार हम स्विटज़रलैंड नहीं जा रहे, इस बार क्रिसमस मनाने के लिए पेरिस नहीं जा रहे.

दो दिन पहले कह रहा था कि अब तो अमरीका जाना ही पड़ेगा.आज कह रहा है- अमरीका गोइंग नो. और वास्तव में जाना कहीं नहीं.

बोला- अब अमरीका से अधिक लाभप्रद कहीं और जाना लग रहा है.

हमने कहा- अमरीका में रहकर, वहां की सभी सुविधाओं का भोग करने वाले, येन केन प्रकारेण ग्रीन कार्ड और नागरिकता लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाले, भारत की महानता के गुण गाने वाले ही जब लौटकर नहीं आना चाहते तो तू ने अमरीका जाने का इरादा कैसे बदला दिया. वैसे हमें पता है तेरे पास न वीजा है और नहीं वहां से किसी ने स्पोंसर किया है. और न ही ट्रंप ने तुझे ‘हाउ डी तोता’ कार्यक्रम के लिए बुलाया है. फिर भी कार्यक्रम बदलने का क्या कारण है ? तुझे यहाँ कहाँ ‘अच्छे दिन’ और उज्ज्वल भविष्य दिखाई देने लगा ?

बोला- गुजरात से अधिक उज्ज्वल भविष्य और कहाँ दिखाई देगा ? गुजरात मॉडल तो दुनिया में प्रसिद्ध है. यहाँ का रेलवे स्टेशन पर लोगों को चाय पिलाने वाला साधारण बालक दुनिया को पानी पिला सकता है, दुनिया का सबसे पॉपुलर नेता और १४० करोड़ का भाग्य विधाता बन सकता है, प्लास्टिक के पाइप बनाने वाला बालक १४० करोड़ लोगों को पाइप में डाल सकता है, गुजरात का ही एक दब्बू सा बच्चा अफ्रीका होता हुआ भारत लौटता है और सारी ‘दुनिया का बाप’ बन सकता है तो कौन गुजरात नहीं जाना चाहेगा. तू तो मूर्ख है जो सात साल गुजरात में रह कर भी कुछ नहीं सीखा और ‘बुद्धू’ की तरह घर लौट आया.

हमने कहा- अब यह गुजरात-गुणगान बंद कर. इस पर तो अलग से एक किताब लिखना तो पद्मश्री या अकादमी अवार्ड कुछ न कुछ मिल ही जाएगा. फिलहाल तो यह बता कि सोमनाथ में ऐसा क्या कैरियर दिखाई दे गया तुझे ?

बोला- कल परसों सोमनाथ, गुजरात का एक समाचार था वहीँ के तीस-तीस हजार रुपए पेंशन लेने वाले दो बुज़ुर्ग, पूर्व सरकारी कर्मचारी भीख माँगते हुए मिले. तो यदि मैं भी सोमनाथ चला जाऊं तो पेंशन तो यहाँ खाते में जमा होती ही रहेगी. वहाँ यदि एक सौ रुपया रोज भी मिला तो छत्तीस हजार साल के हो गए. खाना प्रसाद में हो जाएगा, सोना ‘सोमनाथ कोरिडोर’ के फुटपाथ पर. शेखावटी की इस भयंकर ठण्ड से भी पीछा छूटेगा. और गरमी में अरब सागर की ओर से आने वाली शीतल हवा. यदि मोदी जी ने मोटेरा/पटेल स्टेडियम की तरह नाम बदल दिया तो ‘नरेन्द्र-सागर’ की ओर से आती शीतल हवा.

हमने कहा- तेरी इस २८ इंची छाती को देखकर रोजाना एक सौ रुपए से ज्यादा भी मिल सकते हैं.

बोला- और तुझे पता होना चाहिए कि दुनिया में गुजरात की दो और बातें भी प्रसिद्ध हैं-

गुजरात नो जमण

काशी नो मरण

मतलब गुजरात का भोजन श्रेष्ठ होता है और काशी में मरना श्रेष्ठ होता है क्योंकि वहाँ मरने पर कुकर्मों के बावजूद मोक्ष मिल जाती है.

हमने पूछा- और ?

बोला- और तेरी इस सड़ियल चाय से भी मुक्ति मिलेगी. वहाँ गुजरात की मसाले वाली चाय पियेंगे. सोमनाथ शिव का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है तो मोक्ष की भी गारंटी.

रहा लाइफ सर्टिफिकेट सो स्मार्ट फोन से ही भिजवाया जा सकता है.

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स