बिहार के पश्चिमी चंपारण की रहने वाली शेंबुल परवीन ने सोमवार को कोटा में खुदकुशी कर ली। वह NEET की तैयारी कर रही थीं और कम नंबर आने से परेशान थीं। शेंबुल ने शनिवार को भी खुदकुशी की कोशिश की थी। पिछले ढाई महीने में कोटा में तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स में यह पांचवीं आत्महत्या है।
सुसाइड नगरी
कोटा में बढ़ते जा रहे खुदकुशी के मामलों में बढ़ोतरी साल 2023 की शुरुआत में भी देखी जा रही है। एक मामला 16 जनवरी को सामने आया था, जिसमें उत्तर प्रदेश के अली रजा ने आत्महत्या कर ली। फिर 30 जनवरी यहां कोचिंग में पढ़ने वाले यूपी के प्रयागराज निवासी रणजीत ने फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। इसी दौरान एक छात्र के इमारत की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या के प्रयास का भी मामला सामने आया। पिछले साल दिसंबर में एक ही दिन और एक ही हॉस्टल में दो दोस्तों अंकुश और उज्जवल ने एक साथ खुदकुशी कर ली थी। एक NEET की तैयारी कर रहा था तो एक IIT की। बीते चार सालों में कोटा में आत्महत्या के 53 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से 27 मामले अलग-अलग कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के हैं। वहीं, 15 मामले 2022 में सामने आए थे।
क्या है वजह
राजस्थान सरकार ने विधानसभा में इन मामलों की जानकारी दी है। उसके मुताबिक 52 आत्महत्याएं सिर्फ कोटा में हुईं, और 1 बारां जिले में। खुदकुशी करने वालों में 16 कॉलेज के और 10 स्कूली छात्र हैं। इनके अलावा, अन्य सभी छात्र अलग-अलग कोचिंग सेंटर्स के हैं। सवाल उठता है कि राजस्थान का एजुकेशन हब कहा जाने वाले कोटा शहर खुदकुशी नगरी क्यों बनता जा रहा है? राजस्थान सरकार और कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने इसके ये कारण बताए हैं-
कोचिंग संस्थानों में मेरिट को लेकर बढ़ता हुआ प्रेशर। नंबर रेस में भाग रहा स्टूडेंट इस तनाव को नहीं सह पाता।
कॉम्पिटिशन कहीं न कहीं बच्चों का आत्मविश्वास कम कर देता है, तो वह खतरनाक कदम उठाते हैं।
स्टूडेंट्स के अभिभावक तो उनसे अपेक्षाएं करते ही हैं, खुद स्टूडेंट्स भी अपने आप से जरूरत से ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं।
कुछ स्टूडेंट्स को फीस की कमी के चलते कोचिंग छोड़नी पड़ती है। आर्थिक तंगी खुदकुशी की एक वजह है, साथ ही यह बाकी स्टूडेंट्स पर अतिरिक्त मानसिक बोझ बढ़ाती है।
खोखली कोचिंग
इन सब कारणों को समाप्त करने के लिए जरूरत है कोचिंग संस्थानों के वातावरण को सकारात्मक और छात्रों के अनुकूल बनाने की। कोटा के एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान के प्रिंसिपल हरीश शर्मा बताते हैं कि आत्महत्या के मामलों से कोचिंग संस्थान भी दुखी हैं और छात्रों के उत्साहवर्धन के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। कोचिंग संस्थानों ने इसके लिए नियमित योग क्लास और दूसरे मोटिवेशनल कार्यक्रम चला रखे हैं। खुद हरीश शर्मा ‘विंग्स ऑफ विजडम’ जैसे कार्यक्रम चला रहे हैं। लेकिन स्टूडेंट्स की लगातार होती आत्महत्याएं साफ बताती है कि कोचिंग संस्थानों के प्रयास कहीं न कहीं अधूरे हैं।
सरकारी विधेयक
स्टूडेंट्स में बढ़ती आत्महत्या की टेंडेंसी को समझने और इसे दूर करने के लिए राजस्थान सरकार इस पर एक विधेयक लाने की तैयारी में है। राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक में सरकार ने प्रावधान किया है कि कोचिंग संस्थानों में किसी भी छात्र की एंट्री से पहले एक अनिवार्य एप्टिट्यूड टेस्ट होगा। यह एप्टिट्यूड टेस्ट छात्रों के मन को समझने पर जोर देगा। इस टेस्ट के रिजल्ट अभिभावकों के साथ साझा किए जाएंगे। इस तरह यह विधेयक उन छात्रों को कोचिंग संस्थानों में एंट्री लेने से बाहर कर देगा, जिनके पास इंजीनियरिंग या मेडिकल कोर्स के लिए खास योग्यता नहीं है। इसमें सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए गाइडलाइंस भी दी जाएंगी। मगर यह अब हो रहा है। अगर सरकार ऐसा पहले कर लेती तो कितने ही स्टूडेंट्स की जान बचाई जा सकती थी।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स