Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 16 Dec 2021 2:48 pm IST


क्रिप्टोकरंसी पर सस्पेंस जल्द खत्म करे सरकार


क्रिप्टोकरंसी ऐंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशल डिजिटल करंसी बिल 2021, संसद में पेश होने वाला है, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि सरकार करने क्या वाली है। अलबत्ता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रविवार को ट्विटर एकाउंट हैक हुआ और हैकर ने यह ट्वीट किया कि सरकार ने 500 बिटकॉइन खरीदे हैं और वह उन्हें देशवासियों में बांटने जा रही है। अभी तक क्रिप्टोकरंसी को लेकर यही सुनने में आया है कि सरकार ऐसी सभी प्राइवेट करंसी पर प्रतिबंध लगाने जा रही है। इससे पहले वर्चुअल करंसी को रेगुलेट करने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं, जिनमें 2019 का ड्राफ्ट बिल और 2018 में रिजर्व बैंक का सर्कुलर शामिल है। इस सर्कुलर को 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि सिर्फ ‘प्राइवेट क्रिप्टोकरंसी’ पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, लेकिन इस शब्द का मतलब क्या है, यह नहीं बताया गया है। इंडस्ट्री के जानकारों को लगता है कि सरकार शायद मोनेरो और डैश जैसी करंसी को बैन कर सकती है। यूं तो ये भी ‘पब्लिक’ ब्लॉकचेन टेक्नलॉजी पर आधारित हैं, लेकिन ट्रांजेक्शन की सूचना छिपाकर ये यूजर्स को एक प्राइवेसी देती हैं। बिटकॉइन और ईथरियम में ऐसा नहीं होता। उनमें किए जाने वाले लेन-देन का पता लगाया जा सकता है। सरकारी अफसरों के बयान का यह भी मतलब हो सकता है कि केंद्र सभी क्रिप्टोकरंसी पर पाबंदी लगाएगा।

इस बिल का बेसब्री से इंतजार इसलिए भी हो रहा है क्योंकि इससे ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित प्रॉडक्ट्स को लेकर सरकार के नजरिये का पता चलेगा। इंडस्ट्री के लिए यह जानना भी जरूरी है कि सरकार इस तकनीक पर आधारित प्रॉडक्ट्स को रेगुलेट करने को लेकर क्या सोच रही है। एक सवाल यह भी है कि रिजर्व बैंक ने देशवासियों को हर साल जितना पैसा विदेश ले जाने की इजाजत दे रखी है, क्या उससे क्रिप्टो-एसेट्स खरीदे जा सकते हैं? या इसकी अनुमति नहीं मिलेगी? बिल से इसका जवाब भी मिलेगा कि क्या क्रिप्टो एक्सचेंजों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) कानून के तहत इंटरमीडियरी और ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस माना जाएगा?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल करंसी पर वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) और गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत टैक्स लगाने की दिशा में अच्छी पहल हो चुकी है। कई देशों ने शुरुआत में इन मुद्राओं को सर्विस यानी सेवा माना। इसलिए अगर कोई इनसे कोई वस्तु या सेवा खरीदता है तो उसे बार्टर ट्रांजेक्शन (एक चीज देकर दूसरी चीज लेना) माना गया। लेकिन इससे डबल टैक्स (दोहरे कराधान) की समस्या खड़ी हुई। इधर, जहां तक अप्रत्यक्ष कर का सवाल है, डिजिटल करंसी को भी सामान्य मुद्राओं की तरह ही माना जा रहा है।

भारत के जीएसटी कानून के दायरे में डिजिटल करंसी को भी लाया जा सकता है। वस्तु या सेवा के रूप में। एक और बात यह है कि किसी वस्तु पर जीएसटी की दर की अधिसूचना कस्टम टैरिफ एक्ट के हिसाब से जारी की जाती है। ऐसे में अगर हम यह मान भी लें कि डिजिटल करंसी वस्तु है तो कानून के अंदर इसे किस वर्ग में रखना है, यह स्पष्ट करना होगा। यही मुश्किल इन्हें सेवा मानने पर भी खड़ी होगी।

अब आइए इस पर गौर करते हैं कि क्रिप्टो एक्सचेंजों को ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म माना जा सकता है या नहीं। अगर हां तो इनकम टैक्स कानून के तहत एक्सचेंजों को एफडीआई, टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) और टैक्स कलेक्टेड एट सेल्स (टीसीएस) संबंधी नियमों का पालन करना होगा। बिटकॉइन खरीदने पर ‘इनकम फ्रॉम बिजनस’ वर्ग के तहत टैक्स लगाया जा सकता है या कैपिटल गेन टैक्स की वसूली की जा सकती है। इनमें से कौन सा टैक्स लगेगा, यह क्रिप्टोकरंसी खरीदने या उसे बेचने के कारण के हिसाब से तय किया जा सकता है।

उम्मीद है कि क्रिप्टोकरंसी बिल से इनके एक्सचेंजों के रेगुलेशन, नॉन-फंजिबल टोकन (एनएफटी) और ब्लॉकचेन तकनीक पर तो तस्वीर साफ होगी ही, यह भी पता चलेगा कि कानून बनने के बाद उस पर अमल के लिए कितना वक्त मिलेगा। बिल में इन मुद्राओं के जीएसटी ट्रीटमेंट को लेकर भी तस्वीर साफ की जानी चाहिए ताकि डबल टैक्स से बचा जा सके।
सौजन्य से - नवभारत टाइम्स