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• Tue, 23 Apr 2024 1:08 pm IST


करियर को नई उड़ान


अमेरिका की मल्टिनैशनल इन्वेस्टमेंट बैंक एंड फाइनैंशल सर्विसेज कंपनी मॉर्गन स्टैनली के भारत स्थित ग्लोबल कपैबिलिटी सेंटर से जुड़ी हैं हेमा राधाकृष्ण। वह इंस्टिट्यूशनल सिक्यॉरिटीज टेक की एक्जिक्युटिव डायरेक्टर हैं। उनका करियर इस मायने में खास कहा जाएगा कि उन्होंने शुरू में ही दुनिया की बड़ी कंपनियों में और अलग-अलग देशों में काम कर लिया। जर्मनी में वह सीमेंस में थीं। उसके बाद नीदरलैंड्स, अमेरिका, पोलैंड और ब्रिटेन में भी काम किया। कह सकते हैं कि शुरुआती फेज में ही वह करियर की उस ऊंचाई पर पहुंच गईं जो किसी आम हिंदुस्तानी लड़की का सपना होता है। लेकिन फिर जो बेडियां आम हिंदुस्तानी लड़की के पैरों में पड़ी होती हैं, जो उसे एक हद से ज्यादा दूर नहीं जाने देतीं या एक सीमा से अधिक रफ्तार नहीं हासिल करने देतीं, उन भावनात्मक बेड़ियों ने हेमा को भी अपनी मौजूदगी का अहसास कराया। नतीजा यह कि 2012 में हेमा अपने देश लौट आईं। अगले 10 साल उन्होंने अपने परिवार के बुजुर्ग होते मां-बाप और सास-ससुर के नाम कर दिए। मगर खास बात यह रही कि फॉरेन पोस्टिंग को बाय-बाय करने औऱ एक तरह से करियर संबंधी एंबिशन को प्राथमिकता में नीचे लाने के बाद भी हेमा ने टेक्नॉलजी के अपने पैशन को कम नहीं होने दिया। यहां वह दो अलग-अलग टेक स्टार्टअप से जुड़कर काम करती रहीं।

जब पर्सनल लाइफ में हालात बदले तो उनके सामने इस बात को लेकर कोई दुविधा नहीं थी कि फुलटाइम कॉरपोरेट वर्क की पुरानी स्थिति में वापस जाना है। लेकिन वह जानती थीं कि यह आसान नहीं है। लेटरल हायरिंग में रिक्रूटमेंट प्रॉसेस की जो बाधाएं थीं उन्हें पार करना मुश्किल साबित हो रहा था। उसी समय मॉर्गन स्टैनली का रिटर्न टु वर्क प्रोग्रैम आया और हेमा ने उस अवसर को लपकने में देर नहीं की। इस कार्यक्रम ने हेमा के लिए वर्कफोर्स में वापसी का एक नॉन जजमेंटल रास्ता खोला। इस प्रोग्रैम के पीछे की मेच्योर सोच कह लीजिए कि बैंकिंग इंडस्ट्री की प्रासंगिक जानकारी के मोर्चे पर हेमा की कमजोरियों और करियर के दस साल लंबे ब्रेक को नजरअंदाज करते हुए उनके कौशल, उनकी क्षमता और उनमें निहित संभावनाओं को तवज्जो दी गई। नतीजा यह कि हेमा के करियर को एक नई उड़ान का मौका मिल गया और इंडस्ट्री को उनके एक्सपीरिएंस, विजन तथा लीडरशिप एबिलिटी का फायदा।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स