आज तोताराम ने आते ही बड़ा विचित्र प्रश्न किया।वैसा ही विचित्र जैसे किसी तीस-चालीस साल के युवा से नौकरी या महंगाई की बात करने पर कोई देशभक्त पूछे कि जब गाँधी देश का विभाजन करवा रहा था तब तू क्या कर रहा था?
अब सब तो इतने अलौकिक और आध्यात्मिक होते नहीं कि पिछले जन्मों का हिसाब -किताब मालूम हो। जब इस जन्म की उलझनों से सांस आये हो कुछ सूझे।
प्रश्न था- भारत में कितने वाशिंगटन हैं?
हमने कहा- जनरल नोलेज के मामले में हमारा देश बहुत पहले से विश्वगुरु है। जब यहाँ के युवक विशेषरूप से मुसलमान, अधिक कमाई के लिए अरब देशों में जाते थे तो लोगों का भूगोल इतना ही था कि सबको ईराक गया हुआ ही मानते थे। सन २००० में जब हम पहली बार यूएसए गए तो हमारे प्रिंसिपल ने आने के बाद पूछा- जोशी जी, आप कौनसे अमरीका गए थे? ठीक है, दक्षिण अमरीका और उत्तर अमरीका दो महाद्वीप हैं लेकिन इन दोनों में पचासों देश हैं और उनमें से एक है यूएसए- संयुक्त राज्य अमरीका। मतलब उन्हें अमरीका और संयुक्त राज्य अमरीका में फर्क नहीं मालूम।
वैसे आजकल धंधा बन चुके मीडिया और वाट्सऐप युग में अज्ञान और उसका प्रसारण लोगों का जन्मसिद्ध अधिकार बन चुका है लेकिन बीस साल पहले रिटायर हो चुका एक अध्यापक इतना अज्ञानी हो सकता है, हमने कल्पना भी नहीं की थी लेकिन आज के समय में जब और इतनी कल्पनातीत मूर्खताएं और बदमाशियां देख रहे हैं तो यह भी सही, फिर भी कहा- हे तोताराम, अंग्रेजों के यहाँ आने से वहाँ के बहुत से स्थानों के नाम यहाँ भी पहुँच गए जैसे सलेम भारत में भी है और ब्रिटेन में भी।जब वे अमरीका में गये तो एक सलेम वहाँ भी बसा दिया। अमरीका में बोस्टन के पास एक सलेम है।हमारे मित्र आलोक मिश्र वहीँ रहते हैं।अबरडीन ब्रिटेन में तो है ही, पोर्टब्लेयर में भी एक अबरडीन बाज़ार है।
हमने तो ऐसा कभी सुना-पढ़ा नहीं कि भारत में कोई वाशिंगटन है। हाँ, अमरीका में एक राज्य है पश्चिम में वाशिंगटन और पूर्व में एक है वाशिंगटन डीसी जो अमरीका की राजधानी हैं जिस पर ट्रंप के हारने से क्षुब्ध होकर उनके भक्तों ने हमला कर दिया था।
बोला- मैनें भी कभी, कहीं नहीं पढ़ा कि भारत में कोई वाशिंगटन है लेकिन क्या बताऊँ आज ही एक ‘विश्वसनीय’ अखबार में एक समाचार पढ़ा जो कुछ इस प्रकार है-
वाशिंगटन। मध्यप्रदेश के कोतमा से कांग्रेस विधायक सुनील सर्राफ ने अपने जन्म दिन पर ‘मैं हूँ डॉन’ गाने पर डांस करते हुए ‘हर्ष फायर’ कर दिया।
हमने कहा- विधायक किसी भी दल का हो, डॉन ही होता है।यदि सत्ताधारी दल का हो तो और उच्चस्तर का संस्कारी डॉन हो जाता है जो ‘हर्ष फायर’ ही नहीं राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए किसी विधर्मी महिला से सामूहिक बलात्कार तक कर सकता है।वैसे विधायक कांग्रेस का होने के कारण नरों में उत्तम गृहमंत्री ने तत्काल कार्यवाही के आदेश भी दे दिए हैं।
बोला- मैं डॉन और विधायक की नहीं, वाशिंगटन (मध्यप्रदेश ) भारत में होने का ‘विश्वसनीय’ प्रमाण दे रहा था।
हमने कहा- कोई अखबार खुद ही खुद को संस्कारी या विश्वसनीय कहे तो उससे क्या होता है? दो-पांच हजार में ऐसे ही पत्रकार और संपादक मिलेंगे जिन्हें गदा, गधा और गद्दा में ही अंतर नहीं पता जिनके अनुसार आशा, संभावना और आशंका पर्यायवाची हैं।
बोला- यह भी तो हो सकता है कभी योगी जी इधर आ निकले हों और किसी विनायकपुर का नाम वाशिंगटन कर गए हों।
हमने कहा- योगी ऐसा पाप नहीं कर सकते।वे तो मुसलमानों से जुड़े किसी भी नाम को बदलने के लिए बेचैन रहते हैं।सुबह आदमी ‘इलाहाबाद’ से निकलता और शाम को’ प्रयागराज’ लौटता है .एक बार हैदराबाद गए तो जीतने पर उसे भाग्यनगर बनाने का वादा कर दिया। ठीक भी है,जब रोटी-पानी नहीं दे सकें तो जनता को ऐसे ही झुनझुने पकड़ाए जाते हैं।
बोला- तो फिर यह हो सकता है कि एक बार ‘मामा’ उर्फ़ शिवराजसिंह चौहान अमरीका गये थे और वहाँ से लौटकर राज्य की सड़कों को ‘न्यूयार्क’ जैसी बनाने का जुमला फेंकने लगे।अमरीका की नक़ल के चक्कर में क्या पता, मध्य प्रदेश में एक ‘वाशिंगटन’ ही बसा दिया हो। मामा जो करें सो कम है। एक मामा थे शकुनी जिन्होंने काबुल से आकर अच्छे भले हस्तिनापुर को तालिबानिस्तान बना दिया।
हमने कहा- तो फिर न सही अमरीका, नए वर्ष में मामा के वाशिंगटन ही हो आ।
बोला- मुझे वह झूठा भभका नहीं चाहिए जो लखनऊ में ही टेलीग्राफ की नक़ल पर ‘द डेली टेलीग्राफ’ बनाकर मोदी जी को विश्व की आशा बता देता है या जिस यूनिवर्सिटी में एक भी विद्यार्थी न हो और जिस पर धोखाधड़ी में जुर्माना हो चुका हो उसके नाम से ३५ हजार करोड़ के निवेश का अर्द्धसत्य फैलाया जा रहा हो। कभी जाना होगा तो असली वाशिंगटन ही जायेंगे।
हमने कहा- लेकिन यह भी तो हो सकता कि तेरे पिछले कारनामों के कारण अमरीका तुझे वीजा ही न दे।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स