बात तब की है जब अल्कोहलिज्म को बीमारी नहीं, सिर्फ बुरी आदत के रूप में देखा जाता था। स्वाभाविक ही तब शराबियों को समाज नफरत के भाव से देखता था। यहां तक कि परिवार के लोग भी उनसे घृणा करते थे। 1895 में अमेरिका में जन्मे बिल विल्सन, जिन्हें बिल डब्ल्यू. के नाम से भी जाना जाता है, स्वयं अल्कोहलिक थे। कई वर्षों तक ऐसा रहा कि वह शराब की आदत छोड़ते थे, फिर पकड़ लेते थे। इससे उन्हें और भी दूसरी बीमारियां होने लगीं। धीरे-धीरे परिवार के लोगों ने भी उनसे सहानुभूति जताना छोड़ दिया। खैर हालत बिगड़ने पर कोई और उपाय न देख उन्हें एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया। तब वह 40 वर्ष के भी नहीं हुए थे।
इस बार एक दिन अचानक उन्हें लगा कि अल्कोहलिज्म बुरी आदत नहीं, बल्कि यह एक बीमारी है। इसके विरुद्ध एक बीमारी की तरह लड़ने की जरूरत है। इस आध्यात्मिक जागरूकता ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने अनुभव किया कि वह जिस तरह अल्कोहलिज्म के संकट से जूझ रहे हैं, उस तरह के संकट में और भी लोग हैं। इससे उबरने के लिए उन लोगों की मदद करने की जरूरत है। इस विचार पर आगे काम करने के लिए उन्हें एक और अल्कोहलिक को खोजने की जरूरत थी। वह डॉ. बॉब स्मिथ के संपर्क में आए जो उन्हीं की तरह के संकट से जूझ रहे थे।
उनके साथ मिलकर बिल डब्ल्यू. ने अल्कोहलिक्स अनानोनिमस (AA) की स्थापना की। नशे से मुक्ति पाने के अपने संकल्प और नशे से पीड़ित अन्य लोगों की सहायता को लेकर उनके समर्पण ने अनगिनत जिंदगियां बचाईं। उनकी कहानी उन लोगों के लिए उम्मीद की रोशनी बनी जो अल्कोहलिज्म और अन्य नशों से लड़ रहे थे।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स