Read in App


• Tue, 26 Dec 2023 11:03 am IST


बाइडन की बेचैनी



डॉनल्ड ट्रंप अगले साल नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी बन पाएंगे या नहीं, इस पर कोलराडो प्रांत की शीर्ष अदालत के फैसले से सस्पेंस बन गया है। अदालत ने कहा है कि ट्रंप राज्य में प्राइमरी इलेक्शन नहीं लड़ सकते। प्राइमरी चुनाव पार्टी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव का प्रत्याशी तय करने के लिए होते हैं। खैर, ट्रंप के कोलराडो के प्राइमरी इलेक्शन में रोक लगाने का फैसला अदालत ने कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद भवन) मामले में दिया है।

दरअसल, पिछले राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन के हाथों हारने के बाद भी ट्रंप ने उसे मंजूर नहीं किया था। इसके बाद कैपिटल हिल पर ट्रंप के समर्थकों ने हमला कर दिया था। ट्रंप इस मामले में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में जा रहे हैं। उसके फैसले से तय होगा कि राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप प्रत्याशी होंगे या नहीं। अदालती फैसले से रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी को लेकर तस्वीर धुंधली हुई है तो सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी में भी अगले चुनाव को लेकर बेचैनी है।

उम्र आ रही आड़े

असल में, एक हालिया सर्वे में 40 फीसदी डेमोक्रेटिक पार्टी समर्थकों ने कहा कि अगर बाइडन अगला चुनाव न लड़ते तो अच्छा होता। उसकी एक वजह बाइडन की उम्र है। वह 80 साल के हैं। उनकी सेहत को लेकर अक्सर सवाल भी उठते रहे हैं। यही नहीं, जब वह राष्ट्रपति बने थे, तब भी उन्होंने अमेरिका के सबसे उम्रदराज प्रेसिडेंट होने का रेकॉर्ड बनाया था। यही कारण है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के कई समर्थक उन्हें फिर से राष्ट्रपति पद पर नहीं देखना चाहते।

खराब अप्रूवल रेटिंग

दूसरी बात यह है कि बाइडन की अप्रूवल रेटिंग भी अच्छी नहीं है। उनके पहले कार्यकाल के दौरान कमोबेश यही हालत रही है। दूसरी ओर, ट्रंप इस मामले में उन्हें टक्कर देते दिख रहे हैं।

इकॉनमी से आस

बाइडन को उम्मीद है कि इकॉनमी के अच्छे प्रदर्शन और 4 फीसदी से भी कम बेरोजगारी दर की बदौलत चुनाव के वक्त हवा उनके पक्ष में बहने लगेगी। ऊंची ब्याज दरों के कारण अमेरिकी इकॉनमी के मंदी में फंसने का डर था, लेकिन यह अंदाजा गलत साबित हुआ है। 2024 में भी अमेरिका की GDP ग्रोथ अच्छी बने रहने की उम्मीद है।

दूसरी पारी

अमेरिकी सियासत में परंपरा यही रही है कि जो शख्स राष्ट्रपति पद पर होता है, उसकी फिर से उम्मीदवारी कमोबेश तय होती है। बाइडन कह भी चुके हैं कि वह दूसरी बार राष्ट्रपति बनना चाहते हैं ताकि वह अपनी योजना पर अमल कर सकें।

पार्टी का साथ

वैसे, डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनने के लिए बाइडन को पहले प्राइमरी और बाद में पार्टी कन्वेंशन में उम्मीदवारी पर मुहर लगवानी होगी। अभी तक तो यही लग रहा है कि इसमें कोई खास दिक्कत नहीं आएगी। एक तो अभी तक उनके मुकाबले में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से मजबूत प्रतिद्वंद्वी नहीं दिखे हैं, जबकि प्राइमरी चुनाव जनवरी के तीसरे हफ्ते से शुरू होने जा रहे हैं। इसलिए बहुत संभावना है कि अगले नवंबर में वही चुनावी मैदान में दिखेंगे। अब उनके मुकाबले में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से कौन उतरता है, इसका संकेत ट्रंप मामले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मिलेगा।

सौजन्य से : नवभारत टाइम्स