गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने गोमुख में अधिकतम प्रति दिन करीब पांच सेमी ग्लेशियर पिघल रहा है। गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने पर पिछले पांच वर्षों में तेजी से बदलाव आ रहा है। ग्लेशियर पिघलना एक सतत प्रक्रिया है। लेकिन पिघलने की रफ्तार बढ़ने के कुछ कारक हैं।
उत्तराखंड के सबसे बड़े गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने पर पिछले पांच वर्षों में तेजी से बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के भले ही प्राकृतिक कारण सहित कई कारक भी हैं।
परंतु बदलाव से हर बार नंदनवन, तपोवन, कालिंदीपास जाने वाले ट्रैक रूट में भी बदला रहा है और माकूल बर्फबारी न होने से ग्लेशियर को खुराक भी नहीं मिल पा रही है। इसको लेकर ग्लेशियर विज्ञानियों के अलग-अलग मत हैं परंतु गंगोत्री ग्लेशियर के पिघलने को लेकर विस्तृत अध्ययन की भी वकालत करते हैं।