गरीब परिवार में पले बढ़े तीन भाई "चंदू भाई, भीखूभाई और मेघजी भाई विरानी" आज अपनी मेहनत के दम पर करोड़ों के मालिक बन चुके हैं। इनके पिता एक किसान थे और बेहद गरीब थे लेकिन इन्होंने गरीबी से हार नहीं मानी और शहर जाकर बिजनेस शुरू कर परिवार की आर्थिक स्थिति को ठीक करने का निर्णय लिया। इनके सामने सबसे बड़ी समस्या थी पैसे की। बिजनेस शुरू करने के लिए तीनों भाइयों को पैसे की जरूरत थी लेकिन न तो उनके पास पैसे थे और न ही उनके पिता के पास पैसे थे। हालांकि पिता बच्चों की मदद करना चाहते थे लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे कैसे करें। काफी सोचने के बाद उन्होंने अपनी इकलौती जमीन बेच दी और तीनों भाइयों के बिजनेस करने के लिए 20,000 रुपये दे दिए।
इसके बाद चंदू भाई ने सबसे पहले अपने दोनों भाइयों के साथ मिलकर कृषि उपकरणों की दुकान खोली लेकिन इस काम ने वह सफल नहीं हुए और उन्हें अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा। हालत ये हुई कि इन्हें दुकान बंद करनी पड़ गई। इतना कुछ होने बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा से अपना नया बिजनेस शुरू किया। इस बार उन्होंने अपनी पत्नी के बनाए वेफर्स और सैंडविच सिनेमाघरों के सामने बेचना शुरू किया। यह सिलसिला करीब 15 वर्षों तक चला। इतने सालों में चंदू भाई को ये पता चल चुका था कि लोगों को उनके घर के बने वेफर्स काफी पसंद आ रहे हैं।
इसके बाद उन्होंने साल 1989 में सेमी ऑटोमेटिक वेफर्स प्लांट सेट-अप किया और तीनों भाई मिलकर बालाजी वेफर्स के बैनर तले सस्ती कीमत पर अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट बेचने लगे। शुरुआत में तो तीनों भाइयों को इस काम में काफी परेशानी उठानी पड़ी लेकिन धीरे-धीरे इन बिजनेस चला निकला और आज की डेट में तीनों भाइयों का मार्केट में काफी दबदबा है। आज देश भर में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जो Balaji Wafers के बारे में नहीं जानता होगा। मौजूदा समय में देश के कई इलाकों में बालाजी वेफर्स के प्लांट हैं और रोजाना कई टनों का प्रोडक्शन भी होता है। मीडिया रिपोर्ट्स और विकिपीडिया के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2020 तक बालाजी वेफर्स का सालाना बिजनेस लगभग 3 हजार करोड़ रुपये का था।