हरिद्वार। वृक्ष धरा के श्रंगार और प्राण वायु के आधार हैं। वृक्षों की संख्या जितनी अधिक होगी, जीव धारियों का जीवन उतना ही स्वस्थ और निरोगी बनेगा। उक्त उद्गार हैं श्री गीता विज्ञान आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज के जिन्होंने लक्सर मार्ग स्थित भोगपुर गांव में बन रही वैज्ञानिक गौशाला में वृक्षारोपण करते हुए व्यक्त किए। लगभग 30 बीघा भूमि पर बन रही गौशाला के लिए बरगद, पीपल, नीम, जामुन, सहजन, आंवला, हरड,़ बहेड़ा, बिल्व एवं देसी आम के वृक्षों का प्रतिस्थापन करते हुए उन्होंने कहा कि जीव धारियों की जीवन रक्षा के लिए उपयोगी वृक्षों का होना आवश्यक है और बरगद तथा पीपल प्रकृति के लिए सर्वाधिक उपयोगी वृक्ष हैं, जो 24 घंटे ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं तथा पीपल एवं वटवृक्ष की विशेषता है कि जहां यह दोनों वृक्ष होते हैं। वैज्ञानिक विधि से बनाई जा रही गौशाला की विशेषताओं की जानकारी देते हुए गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों से उत्पादित तथा कीटनाशकों के छिड़काव युक्त चारा खाने से गायों का दूध भी विषैला तथा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने लगा है। गौमूत्र की गुणवत्ता भी बदल रही है। गोवंश बीमारी तथा बांझपन का शिकार हो रहा है। सनातन धर्म में गाय की उपयोगिता को देखते हुए ही उसे मां का दर्जा दिया गया है। गौ सेवा एवं गौ रक्षा करना समस्त भारतवासियों का कर्तव्य है। गाय की उपयोगिता बनाने रखने के लिए सूर्य का सीधा प्रकाश एवं शुद्ध वायु मिलना आवश्यक है। इसीलिए गौशाला निर्माण से पूर्व वृक्षारोपण आवश्यक है। इस अवसर पर आश्रम स्थित संत सेवक एवं अनुयाई उपस्थित रहे।