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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 14 Mar 2023 5:04 pm IST


मधुमक्खी पालन के जरिये सालाना 25 लाख से अधिक कमा रहे मनीष, कईयों को दिया रोजगार


बीटेक की पढ़ाई करने के बावजूद कोई ढंग की नौकरी न मिलने से परेशान सहरसा के सौर बाजार प्रखंड क्षेत्र के सहुरिया पूर्वी पंचायत के वार्ड-15  के रहने वाले राम प्रसाद यादव के पुत्र मनीष कुमार ने मधु मक्खी पालन का काम शुरू कर दिया। इस काम से मनीष आज न सिर्फ अपना घर संभाल रहे हैं बल्कि एक दर्जन लोगों को रोजगार भी दे  दिया है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है। बीटेक करने के बाद मनीष नौकरी की तलाश में हरियाणा गए हुए थे लेकिन उन्हें कोई अच्‍छी नौकरी नहीं जिससे वह थक हार का वापस लौट आये। इसके बाद एक दिन वह भागलपुर के कहलगांव के रास्‍ते से कही जा रहे थे तभी उनके मन में अपना काम करने का विचार आया। इसके बाद मनीष ने 12 फरवरी 2011 को राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत मधुमक्खी के 40 बक्सों से अपना स्टार्टअप शुरू किया। मौजूदा समय में उनके पास 1500 बक्से हैं। मनीष के मुताबिक शुरुआत में वे 60-70 हजार का सालाना शहद तैयार कर लेते थे, जो धीरे-धीरे बढ़कर 20-21 लाख रुपए सालाना हो गया है। मनीष बताते हैं कि एक बक्से से 1 साल में 40 से 45 किलो शहद निकलता है।
मनीष के मुताबिक वे साल भर शहद तैयार करते हैं, इसके लिए  वे बकायदा प्लानिंग करते हैं। मनीष का कहना है दिसंबर के पहले सप्ताह से लेकर 15 जनवरी तक वे पूर्णिया जिले के बायसी और रायगंज में सरसों के बीच मधुमक्खी के बक्से रखते हैं। इसके बाद फरवरी के अंतिम सप्ताह में सिमरी बख्तियारपुर में लेट वैरायटी सरसों में मधुमक्खी के बक्सों को रखते हैं। इसके बाद वे महेशखूंट के गौछारी, भरतखंड आदि इलाके में बक्से रखते हैं, जहां धनिया और मंगरेला की खेती हैं। वहीं मार्च के अंत तक महेशखूंट के विभिन्न गांव में लीची बागान में बक्से रखकर हनी तैयार करते हैं।
मनीष कहते हैं कि मई में रांची के इलाके में करंज के पौधों को बीच बक्से रखे जाते हैं। जून में सिमरी बख्तियारपुर में जामुन के बागान में मधुमक्खी रखते हैं। वहीं जुलाई-अगस्त में भागलपुर या खगड़िया जिले में रहकर मकई और ढैंचा में मधुमक्खी को रखकर उसे जीवित रखने का प्रयास करते हैं।वहीं अक्टूबर-नवंबर में झारखंड के डाल्टनगंज जिले के नवा बाजार इलाके में वन तुलसी के पौधे के बीच मधुमक्खी रखकर शहद तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके यहां से बिकने वाले शहद का रेट 250 रुपए किलो है। इस काम से अब वे सालाना 25 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं।