दुनिया में कोरोना की तीसरी लहर के संकेत मिल गए हैं। वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन की दस्तक ने विश्व के अधिकतर देशों की नींद हराम कर दी है। तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक बताई जा रही है। बावजूद इसके सीमांत जनपद में बाल रोग विशेषज्ञों का भारी टोटा है। कुल आठ बाल रोग विशेषज्ञों के मुकाबले छह चिकित्सकों के पद सालों से रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में बगैर चिकित्सक बच्चे कोरोना के वायरस से कैसे लड़ाई लड़ेंगे।
सीमांत जनपद में स्वास्थ्य महकमा कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को भगवान भरोसे है। अगर बच्चों को कोरोना के नए वायरस ने अपनी चपेट में लिया तो उन्हें इलाज के लिए भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं मिलेंगे। जिले के अस्पतालों में बाल रोग विशेषज्ञों की भारी कमी है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक विभिन्न अस्पतालों में बाल रोग विशेषज्ञों के आठ पद स्वीकृत हैं।
वर्तमान में जिला और महिला अस्पताल में ही विशेषज्ञ चिकित्सक तैनात हैं। अन्य सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक नहीं हैं। ऐसे में अगर किसी बच्चे की तबीयत बिगड़ी तो उसे स्थानीय स्तर पर इलाज नहीं मिलेगा। संक्रमितों को इलाज के लिए जिला मुख्यालय के अस्पतालों की दौड़ लगानी होगी। यहां भी संक्रमित बच्चों का दबाव बढ़ा तो, ऐसे में उनके साथ ही विभाग की मुश्किल बढ़ेगी।