वन विभाग की टीम बंदरों की गणना के साथ मनुष्यों के बीच रहने वाले बंदरों और जंगल में रहने वाले बंदरों के स्वभाव को लेकर अध्ययन कर रही है। अध्ययन में ये बात सामने आई है कि मानवों के साथ रहने वाले और जंगलों में रहने वाले बंदरों के स्वभाव में काफी अंतर आ रहा है। अध्ययन में सामने आया कि जंगलों के मुकाबले शहरों में रहने वाले बंदर ज्यादा आक्रामक हो रहे हैं।
वन विभाग की टीम ने चंडाक, सोड़लेख, दिग्तोली, गुरना, थलकेदार सहित कई अन्य स्थानों पर टीमें बनाकर अध्ययन किया। सड़क के किनारे बैठे बंदरों के व्यवहार पर किए अध्ययन से पता चला कि लोगों के बंदरों को खाने का सामान देने से बंदरों के सामाजिक रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में बंदरों में फैसले लेने की भूमिका भी बदलती नजर आ रही है। जहां इंसानों से बंदरों को खाना मिल रहा है, वहां बंदरों का व्यवहार खतरों से भरा और आक्रामक हो रहा है। शहरों में बंदर लोगों के करीब पहुंचने का अधिक खतरा उठाते हैं। शहरी क्षेत्र के आसपास रहने वाले बंदरों का अपने समुदाय के बीच सामाजिक संबंध कम पाया गया।