अक्सर ही मोबाइल कंपनियां हमें पहले तो कई फायदे बताती है लेकिन जब हम मोबाइल या दूसरे गैजेट्स खरीद लेते हैं तो छतिग्रस्त होने पर वायदों से पीछे हट जाते हैं।
लेकिन, हादसे के दौरान क्षतिग्रस्त मोबाइल को ठीक न करना बीमा कंपनी, सर्विस सेंटर और दुकानदार को भारी पड़ गया। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने तीनों की सेवा में कमी माना है। साथ ही खरीदार को दस हजार रुपये मानसिक संताप और एक हजार रुपये वाद व्यय के 30 दिन में भुगतान का आदेश दिया है।
दरअसल, नोएडा सेक्टर-44 निवासी देवेंद्र शर्मा ने तीन जुलाई 2015 को फेज-दो स्थित मोबाइल स्टोर से 7400 रुपये में जोलो क्यूब-05 मोबाइल खरीदा था। एसएसके रिटेयलर्स प्राइवेट लिमिटेड से इसका बीमा कराया। इसके लिए 599 रुपये लिए गए। सात फरवरी 2016 की शाम पांच बजे वह बाइक से घर जा रहा था। एक्सीडेंट में जेब में रखे मोबाइल की स्क्रीन टूट गई।
देवेन्द्र ने एसएसके रिटेयलर्स प्राइवेट लिमिटेड को कस्टमर केयर पर सूचना दी। बीमा कंपनी ने 24 से 48 घंटे में मोबाइल को ठीक कराने का आश्वासन दिया गया। 11 फरवरी 2016 को उसको मैसेज से जानकारी दी गई कि उनके क्लेम को कंपनी ने रद्द कर दिया है।
देवेंद्र ने मोबाइल बदलकर नया देने, मानसिक संताप और वाद व्यय दिलाने के लिए आयोग में केस दायर किया। बीमा कंपनी, मोबाइल स्टोर और सर्विस सेंटर ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के बाद आयोग ने कहा कि, मोबाइल को रिपेयर नहीं करके सेवा में कमी की है। और कंपनी पर जुर्माना लगाया।