हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है। हिंदू धर्म में कैलेंडर और हिंदू पंचाग की तिथि में चंद्रमा के अनुसार परिवर्तन होता है। पूर्णिमा की रात हर 30 दिनों के बाद आती है, ऐसा कहा जा सकता है कि पूर्णिमा महीने में एक बार आती है। पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से पुण्यफल के प्राप्ति होने और सुख-समृद्धि आने की मान्यता है। साल 2023 की पहली पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो बहुत ही शुभ योग माना जा रहा है। साल 2023 की पहली पूर्णिमा 6 जनवरी को पड़ रही है।
पौष पूर्णिमा तिथि
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 6 जनवरी, शुक्रवार, रात्रि 2:16 मिनट से।
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 जनवरी, शनिवार प्रातः 4:37 बजे।
विशेष योग
पौष मास में पड़ने वाल पूर्णिमा पौष पूर्णिमा कहलाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा पर व्रत और दान करना शुभ माना गया है।
इंद्र योग - 6 जनवरी, सुबह 08.11 बजे से 7 जनवरी, सुबह 08.55 बजे तक।
ब्रह्म योग -5 जनवरी, सुबह 07.34 से 6 जनवरी, सुबह 08.11 बजे तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग - 6 जनवरी दोपहर 12.14 बजे से 7 जनवरी सुबह 6.38 बजे तक।
पूजा विधि
ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करें और इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात व्रत का संकल्प लें। लक्ष्मी नारायण की हल्दी, रोली, मौली, पुष्प, फल, मिठाई, पंचामृत (तुलसी दल जरूर रहे), नैवेद्य से पूजा करें। इसके बाद सत्य नारायण की कथा पढ़ें और श्री हरि विष्णु का भजन करें। शाम के समय चंद्रमा को दूध में चीनी, चावल मिलाकर अर्घ्य दें। गुड़, तिल, कंबल आदि का दान करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें। आधी रात को माता लक्ष्मी की पूजा करें। मां लक्ष्मी को धूप,दीप और माला चढ़ाएं।