उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में इन दिनों यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है। बारिश के दिनों में यात्रा के दौरान भूस्खलन के कारण मार्गों का बंद होना आम बात है। इसके अलावा बरसात में सक्रिय होने वाले स्लिप जोन भी परेशानी का कारण बनते हैं।लोनिवि ने इस बार ऐसे 360 से अधिक डेंजर स्लिप जोन चिह्नित किए हैं, जो बरसात में कभी भी सक्रिय हो सकते हैं। इनमें अल्मोड़ा में रानीखेत खंड, बागेश्वर में कपकोट, नैनीताल में रामनगर और भवाली, पिथौरागढ़ में डीडीहाट और अस्कोट, उत्तरकाशी में भटवाड़ी, चिन्यालीसौड़ और बडकोट, चमोली में गोपेश्वर, कर्णप्रयाग, गैरसैंण, थराली और पोखरी, रुद्रप्रयाग में ऊखीमठ, टिहरी में नरेंद्रनगर, घनसाली, थत्यूड़ और नई टिहरी, देहरादून में साहिया, चकराता, ऋषिकेश और डोईवाला, पौड़ी में लैंसडौन, दुग्गडा, बेजरो, पाबौ और श्रीनगर, हरिद्वार में रुड़की और लक्सर निर्माण खंड शामिल हैं।इस बार मशीनों को स्थायी तौर पर किया गया तैनातशासन की ओर से इस बार चिह्नित डेंजर स्लिप जोन के नजदीक जेसीबी मशीनों को तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं। लोनिवि के अधिकारियों की मानें तो सभी संवेदनशील स्थानों पर मैनपावर के साथ मशीनों की तैनाती की गई है, ताकि कम से कम समय में बंद हुई सड़कों को खोला जा सके।