नीती मलारी हाईवे के चार दिनों से बंद पड़े होने से भारत-तिब्बत-चीन सीमा से लगे एक दर्जन से अधिक गांवों में तकरीबन एक हजार की आबादी गांवों में ही फंसी हुई है। सीमा क्षेत्र तक सेना व आइटीबीपी के वाहनों की आवाजाही भी नहीं हो पा रही है। जगह-जगह सड़कें टूटी हुई हैं। सीमा सड़क संगठन के तामझाम भी इस सड़क को खोलने में अभी तक बौने ही साबित हो रहे हैं। हालांकि बीआरओ के अधिकारी जल्द से जल्द सड़क को खोलने का दावा कर रहे हैं। इन दिनों सीमावर्ती क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू होने के बाद सीमांत गांवों में रहने वाले अधिकतर लोग शीतकालीन प्रवासों पर निचले स्थानों पर आ गए हैं। परंतु बताया जा रहा है कि एक हजार के करीब लोग अभी भी गांवों में ही थे। 18 अक्टूबर को सड़क बंद होने के बाद वे ग्रामीाण सीमांत गांवों में ही फंसे हुए हैं। भारी बारिश के बाद सलधार से लेकर नीती तक एक दर्जन से अधिक स्थानों पर 40 किलोमीटर क्षेत्र में सड़क जगह-जगह क्षतिग्रस्त पड़ी हुई है। हालांकि कुछ ग्रामीण सड़क पर आए मलबे के ऊपर से ही आवाजाही कर रहे हैं। बाम्पा गांव के पूर्व प्रधान धर्मेंद्र पाल का कहना है कि बाम्पा, गमशाली व नीती गांवों में ग्रामीणों के साथ यहां कार्य करने के लिए पहुंचे कई मजदूर भी फंसे हुए हैं। कागा गरपक के प्रधान पुष्कर सिंह का कहना है कि हाईवे बंद होने के कारण सीमांत गांवों में फंसे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बताया कि बारिश से पैदल मार्ग भी क्षतिग्रस्त होने के कारण कागा गरपक के ग्रामीणों को आठ किलोमीटर तक पैदल आवाजाही करनी पड़ रही है। बताया कि बारिश से कागा गरपक के पूर्व प्रधान बच्ची देवी की गोशाला ढहने से चार मवेशियों की मौत भी हुई है। सीमा सड़क संगठन के कमांडर कर्नल मनीष कपिल ने बताया कि नीती मलारी हाईवे को खोलने के लिए युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है। बताया कि सीमा सड़क संगठन की कोशिश है कि जल्द से जल्द हाईवे खुल जाए