यदि आप सरकारी अस्पतालों में जाकर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद लगाए हैं तो इसे पूरी तरह से अपने दिमाग से उतार दीजिए। जनपद के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ही नहीं शहर के बीचों बीच बने मेला और जिला अस्पताल में भी जरूरी चिकित्सकों को टोटा है। जनपद में स्वीकृत 214 डॉक्टरों के पदों के सापेक्ष 152 की तैनाती है। 62 डॉक्टरों की कमी है। कहीं फार्मेसिस्ट के भरोसे अस्पताल चल रहे हैं तो कहीं लोगों को डॉक्टरों के अभाव में 30 किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ रही है। शहर के बीचोंबीच बने मेला अस्पताल का हाल सबसे बुरा है। यहां कुल डॉक्टरों के 29 पद स्वीकृत हैं। पर मेला अस्पताल में मात्र 13 डॉक्टर तैनात हैं। इनमें सबसे जरूरी फिजिशियन, कॉर्डियोलॉजिस्ट, चर्म रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। यही नहीं अस्पताल का अधीक्षक पद भी खाली चल रहा है। दूसरे जिला अस्पताल की बात करें तो ह्दय रोग चिकित्सक डॉ. अनुपम चतुर्वेदी का एक महीने से नवीनीकरण नहीं किया गया है।