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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 4 Oct 2022 9:00 am IST


श्रीराम की सीख: कोई बुद्धिमान व्यक्ति सलाह दे रहा हो तो बीच में न बोलें


कल 5 अक्टूबर, बुधवार को दशहरा है, ये धर्म की विजय का दिन है। श्रीराम ने इसी तिथि पर रावण का वध किया था। श्रीराम के कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें सुखी और सफल जीवन के सूत्र बताए गए हैं। श्रीराम और लक्ष्मण सीता की खोज करते हुए वन में कई ऋषियों से भी भेंट कर रहे थे। श्रीराम ने भारद्वाज मुनि से वन में आगे बढ़ने का रास्ता पूछा था, उन्होंने वाल्मीकि मुनि से रहने के स्थान के बारे में पूछा था। उस समय दक्षिण दिशा के सभी ऋषि मुनि रावण के डर से अन्य जगहों पर भाग चुके थे। उस क्षेत्र में सिर्फ अगस्त्य मुनि ही रह रहे थे। श्रीराम ने सोचा कि वे अगस्त्य मुनि से राक्षसों का संहार करने का तरीका पूछेंगे। श्रीराम और लक्ष्मण अगस्त्य मुनि के आश्रम पहुंचे। जैसे ही अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को देखा तो वे उनका सत्कार करने के लिए खड़े हो गए। स्वागत-सत्कार के बाद श्रीराम ने अगस्त्य मुनि से पूछा कि कृपया आप हमें बताइए किस तरह रावण और राक्षसों को मारा जा सकता है? अगस्त्य मुनि ने कहा कि राम जी आप स्वयं सब जानते हैं, समर्थ हैं, लेकिन फिर भी आप मुझसे मार्गदर्शन ले रहे हैं। तो ये आपका बड़प्पन है, आपको एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि रावण से लड़ने के लिए सेना के साथ ही आत्मबल भी होना चाहिए। आप दोनों भाइयों में आत्मबल तो बहुत है, लेकिन आपको सेना के बारे में विचार करना चाहिए। सिर्फ वानर सेना के भरोसे कैसे जीत पाएंगे?

बात पूरी होने से पहले ही बोल पड़े लक्ष्मण 
अगस्त्य मुनि की बात पूरी नहीं हुई थी और लक्ष्मण बीच में बोल पड़े कि श्रीराम और मैं, हम दोनों ही राक्षसों के लिए पर्याप्त हैं। लक्ष्मण की बात सुनकर श्रीराम ने कहा कि लक्ष्मण धैर्य रखो, ये बोल रहे हैं, इनकी बातें ध्यान से सुनो। दोनों भाई चुप हो गए तो अगस्त्य मुनि ने फिर बोलना शुरू किया कि वानर और रीछ जैसे जन समूह के भरोसे आप ये युद्ध लड़ने जा रहे हैं, लेकिन ध्यान रखें कि समूह की अपनी अलग सोच होती है, ऐसा संभव है कि जब आप पर प्रहार हो तो ये जन समूह आपका साथ छोड़ सकता है। आपको सिर्फ खुद पर सबसे अधिक भरोसा करना चाहिए। श्रीराम ने अगस्त्य मुनि को धन्यवाद कहा, उनका आभार माना और आगे बढ़ गए। श्रीराम ने लक्ष्मण को समझाया था कि सफलता के सूत्र किसी से भी मिल सकते हैं। हमें बुद्धिमान लोगों का सम्मान करना चाहिए। जब भी कोई बुद्धिमान व्यक्ति हमें कुछ बताए तो उसकी बात ध्यान से सुननी चाहिए, उन्हें बीच में टोकना नहीं चाहिए।