उत्तराखंड के बहुप्रतीक्षित उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2022 को राज्यपाल की स्वीकृति मिल गई है. उत्तराखंड के अपर सचिव विधानसभा ने ये जानकारी दी कि विधानसभा द्वारा पारित उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक को राजभवन से स्वीकृति मिल गयी है. उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2022 में गैर-कानूनी धर्मांतरण को एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाया गया है. कानून को और भी सशक्त बनाने के लिए इसकी सजा को 2 से लेकर 7 साल तक निर्धारित कर दिया गया है. अपराधी पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा.उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को धर्मांतरण कानून को लेकर संशोधन बिल पेश किया गया था. कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि, चूंकि उत्तराखंड चीन और नेपाल से सटा हुआ राज्य है. इसके चलते प्रदेश में धर्मांतरण किए जाने के आसार बने रहते हैं. इसलिए इस कानून को और भी सशक्त बनाया गया है. महाराज ने बिल के उद्देश्यों और कारणों को बताते हुए कहा था कि, भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 के तहत, धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत, प्रत्येक धर्म के महत्व को समान रूप से मजबूत करने के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में कुछ कठिनाइयों को दूर करने के लिए संशोधन आवश्यक है.