प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवला के पेड़ की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन आंवला के पेड़ की विधिवत पूजा करने के साथ सपरिवार पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और हर रोग, दोष और भय से छुटकारा मिल जाता है। इस साल आंवला नवमी का पर्व 2 नवंबर बुधवार यानी आज मनाया जा रहा है।
आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जानते हैं। माना जाता है कि आंवला नवमी के दिन व्रत रखने के साथ आंवला के पेड़ की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं आंवला नवमी की तिथि , शुभ मुहूर्त और महत्व।
शुभ मुहूर्त
नवमी तिथि प्रारंभ- 1 नवम्बर, मंगलवार को रात 11 बजकर 04 मिनट से शुरू।
नवमी तिथि समाप्त - 2 नवम्बर, बुधवार को रात 9 बजकर 9 मिनट तक।
आंवला नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 06:34 से दोपहर 12:04 बजे तक।
अवधि- 5 घंटे 31 मिनट।
आंवला नवमी का महत्व
आंवला नवमी के दिन स्नान-दान का काफी अधिक महत्व होता है। माना जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में विराजमान रहते हैं। इसलिए अक्षय नवमी के दिन विधिवत आंवला के पेड़ की पूजा करने के साथ इसकी छाया में बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है। इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने के साथ 108 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इसके साथ ही इस दिन व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है।
आंवला नवमी पूजा विधि
आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने का विधान हैं। इस दिन आंवला की जड़ में जल में कच्चा दूध मिलाकर अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि लगाने के साथ भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही आंवले के पेड़ के तने में कच्चा सूत या फिर मौली आठ बार लपेट सकते हैं। पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ी जाती है और पूरे परिवार के साथ पेड़ के नीचे बैठकर सात्विक भोजन किया जाता है।