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• Tue, 6 Apr 2021 5:35 pm IST


जूना अखाड़े में नागा साधुओं को बड़ी तादाद में दी गई दीक्षा नागा साधु का लगा जमावड़ा


हरिद्वार- आदि जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित  दस नाम संन्यासी  अखाड़ों  के सबसे बड़े संन्यासी अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा में  'नागा संन्यास दीक्षा’ का बृहद आयोजन शुरू किया गया है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय  संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री के मुताबिक संन्यास दीक्षा के लिए सभी चारों मढ़ियों, जिसमें चार, सोलह, तेरह और चौदह मढ़ी शामिल हैं, उन नागा संन्यासियों का पंजीकरण किया गया। आवेदकों की बारीकी से जांच के बाद दीक्षा के लिए केवल योग्य एवं पात्र साधुओं का ही चयन किया गया।  जिनकी तादाद पांच हजार से ज्यादा बताई गई है।अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सचिव व कुंभ मेला प्रभारी महंत महेशपुरी  ने बताया कि नागा संन्यासी बनने के लिए कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इसके लिए सबसे पहले नागा संन्यासी को महापुरुष के रूप में दीक्षित कर अखाड़े में शामिल किया जाता है। 
उन्होंने बताया कि तीन सालों तक महापुरुष के रूप में दीक्षित संन्यासी को संन्यास के कड़े नियमों का पालन करते हुए गुरु सेवा के साथ-साथ अखाड़े में विभिन्न कार्य करने पड़ते हैं। तीन साल की कठिन साधना में खरा उतरने के बाद कुंभ पर्व पर उन्हें नागा बनाया जाता है। दीक्षा प्रक्रिया आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी के दिशा–निर्देशन में चल रही है। सभी नागा साधु बनने से पहले अखाड़ा की धर्मध्वजा पर नागा संस्कार के लिये एकत्रित होते हैं नागा कर्म के दौरान लगातार 24 घंटे तक कठिन तप करना होता है। हरिद्वार से राजेश शर्मा की रिपोर्ट