वर्ष 1990 की होली के बाद रंगों से भी डर लगता है। जब विक्रम कौल यह बात किसी भी मंच पर कहते तो लोगों को लगता था कि ऐसा भी क्या हुआ कि होली मनाने से किसी को डर लगे लेकिन फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' देखने वाले बहुत से उनके साथी आज कह रहे हैं कि विक्रम तुम जो कहते थे, वही सच है।
हालांकि जब विस्थापन हुआ तो विक्रम कौल की उम्र मात्र सात वर्ष ही थी लेकिन विस्थापन का हर दृश्य आज भी वह अपनी आंखों में संजोए हैं और इस फिल्म ने उनके जख्मों को ताजा कर दिया है। लोगों को फिल्म द कश्मीर फाइल्स दिखाने में जुटे केपी वालंटियर आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष विक्रम कौल का कहना है फिल्म हकीकत है। यह सच है कि कश्मीर में खून की होली खेली गई। फिल्म की कोई भी घटना ऐसी नहीं जो वहां न हुई हो। विस्थापन के दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं कि जब उनका परिवार विस्थापित हुआ था, उस समय उनकी आयु सात वर्ष थी और अब 39 वर्ष के हैं। उन काफिरों ने बचपन छीन लिया। विस्थापन के बाद हर दिन संघर्ष में गुजरा।