कहते हैं व्यक्ति की आंखें उसके दिल का हाल बयां कर देती हैं। ऐसे में सुख हो या दुख, दोनों का पता आंखों से निकलने वाले आंसुओं के पास मिलता है। जी हां, जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। व्यक्ति कभी खुशी से मुस्कुराता है तो कभी दुख को आंखों से निकलने वाले आंसुओं के साथ बाहर निकाल देता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो खुद को दूसरों के सामने मजबूत दिखाने के लिए अपने दर्द को छिपाने की कोशिश करते हैं और अपने आंसुओं को निकलने से रोक देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा करने वाले लोग जाने-अनजाने अपनी सेहत को कितना नुकसान पहुंचा रहे होते हैं। आइए जानते हैं कैसे -
भावनाओं का असंतुलन- आपने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि रोने से व्यक्ति का मन शांत होता है। इसके अलावा भावनाओं पर काबू में रखने के लिए भी व्यक्ति का रोना जरूरी होता है। लेकिन जो लोग अपने आंसू रोकते हैं उनमें भावनाओं के असंतुलन की समस्या हो सकती है।
तनाव होना- रोने की भावना प्रकट होने पर इमोशन रिस्पॉन्स सक्रिय हो जाता है। जिससे सिग्नल मिलता है कि व्यक्ति रोना चाहता है। ऐसा होने पर शरीर भी खुद को इसी अवस्था के आधीन मान लेता है। इस प्रकिया से Adrenocorticotropic hormone (ACTH) हार्मोन्स रिलीज होने लगते हैं। ये किडनी तक जाकर कोर्टिसॉल स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करते हैं। लेकिन जब हम अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हैं तो मानसिक तनाव महसूस होने लगता है।
आंखों की समस्या- आंसू की वजह से व्यक्ति को पलकें झपकाने में मदद मिलती हैं। वहीं अगर व्यक्ति अपने आंसू रोकने की कोशिश करता है तो आंखों में नमी की कमी हो सकती है। इसके अलावा ये श्लेष्म झिल्ली के सूखने की समस्या का कारण भी बन सकता है। जिससे आंखों की समस्या में द्रष्टि का धुंधलापन भी शामिल हैं। ऐसे में आंसू रोकने से आंखों की समस्या हो सकती है।