योजना धरातल पर साकार हुई तो आने वाले दिनों में मनरेगा से प्राकृतिक पेयजल स्त्रोतों का संरक्षण हो सकेगा। इतना ही नहीं जल संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिहाज से बरसाती जल को संरक्षित कर इसे बागवानी, कृषि के कार्य में प्रयोग में लाया जा सकेगा। फिलवक्त जनपद में विकास विभाग की ओर से इस दिशा में कार्य शुरू करवा दिया गया है। मुहिम रंग लाई तो आने वाले दिनों में जल संचय के लिहाज से यह योजना काफी कारगर साबित होगी।
जनपद में कई प्राकृतिक पेयजल स्रोतों की पानी की धार संरक्षण के अभाव में सूखने लगी है। खासकर गर्मियों के मौसम में यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों के लिए परेशानी का सबब भी बनने लग जाती है। अब जल संरक्षण एवं संवर्द्धन के तहत प्राकृतिक पेयजल स्रोतों को संवारने की उम्मीद जगी है।